Prohibition of Child Marriage Act, 2006 की धारा 12 कुछ विशेष परिस्थितियों में बाल विवाह को स्वतः शून्य (Void) घोषित करती है। सामान्य रूप से यह अधिनियम बाल विवाह को अवैध बनाता है, लेकिन धारा 12 विशेष मामलों में विवाह को पूरी तरह से शून्य मानती है।
प्रमुख प्रावधान (Key Provisions):
1. किन परिस्थितियों में बाल विवाह शून्य होगा?
बाल विवाह स्वतः शून्य (Void ab initio) माना जाएगा यदि –
- वर (दूल्हा) या वधू (दुल्हन) का अपहरण, तस्करी या बलपूर्वक विवाह कराया गया हो।
- किसी भी पक्ष (वर या वधू) को धमकी देकर या दबाव डालकर विवाह कराया गया हो।
- विवाह के समय वर या वधू को बलपूर्वक या धोखे से विवाह के लिए बाध्य किया गया हो।
- यदि विवाह के कारण किसी भी पक्ष (विशेष रूप से लड़की) का जीवन, स्वतंत्रता या स्वास्थ्य खतरे में पड़ता हो।
2. शून्यता का प्रभाव (Effect of Void Marriage):
- विवाह कानूनन अमान्य माना जाएगा।
- विवाह के किसी भी कानूनी अधिकार (जैसे संपत्ति अधिकार, पति-पत्नी के कर्तव्य आदि) को मान्यता नहीं दी जाएगी।
- विवाह को समाप्त करने के लिए किसी अतिरिक्त प्रक्रिया (जैसे तलाक) की आवश्यकता नहीं होगी।
महत्व (Significance):
- यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि धोखे, दबाव, अपहरण, या तस्करी के कारण हुए बाल विवाह को कानूनी मान्यता न मिले।
- यह विशेष रूप से बाल वधुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करता है, ताकि वे ऐसे विवाह से बच सकें।
- यह कानून बच्चों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करता है और जबरन विवाह की घटनाओं पर रोक लगाता है।
निष्कर्ष (Conclusion):
धारा 12 यह स्पष्ट करती है कि यदि बाल विवाह बलपूर्वक, धोखे से, या किसी भी तरह के जबरदस्ती या खतरे के अंतर्गत किया गया हो, तो वह विवाह स्वतः शून्य होगा। यह प्रावधान बाल विवाह के खिलाफ एक सख्त कानूनी कदम है, जो बच्चों के अधिकारों की रक्षा करता है।
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