भारतीय संविधान की अनुसूची 9: कानूनों की न्यायिक समीक्षा से सुरक्षा
परिचय
भारतीय संविधान की अनुसूची 9 (Schedule 9) उन कानूनों की सूची है जिन्हें न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती। इसे संविधान (पहला संशोधन) अधिनियम, 1951 के माध्यम से जोड़ा गया था। इसका मुख्य उद्देश्य जमींदारी प्रथा उन्मूलन और भूमि सुधार कानूनों को न्यायिक हस्तक्षेप से बचाना था।
हालांकि, 1973 के केशवानंद भारती केस और 2007 के आई.आर. कोएल्हो केस में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि अनुच्छेद 368 के तहत संविधान का मूल ढांचा (Basic Structure) नहीं बदला जा सकता और अनुसूची 9 में डाले गए कानून भी न्यायिक समीक्षा के अधीन हो सकते हैं।
अनुसूची 9 की विशेषताएँ
✅ 1951 में जोड़ी गई, ताकि भूमि सुधार कानूनों को न्यायालय में चुनौती न दी जा सके।
✅ आज इसमें 284 से अधिक कानून शामिल हैं।
✅ केंद्र और राज्य सरकारें अपने कुछ विशेष कानूनों को इसमें शामिल कर सकती हैं।
✅ सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के अनुसार, संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन करने वाले कानून इसमें डालने पर भी असंवैधानिक घोषित किए जा सकते हैं।
अनुसूची 9 का इतिहास और विकास
वर्ष | घटना |
---|---|
1951 | पहला संविधान संशोधन (1st Amendment) द्वारा जोड़ा गया। |
1973 | केशवानंद भारती केस – सुप्रीम कोर्ट ने “मूल संरचना सिद्धांत” (Basic Structure Doctrine) दिया। |
1976 | 42वां संविधान संशोधन – सरकार ने इसे और मजबूत करने का प्रयास किया। |
2007 | आई.आर. कोएल्हो केस – सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि न्यायिक समीक्षा से पूरी तरह बचा नहीं जा सकता। |
अनुसूची 9 में डाले गए कुछ प्रमुख कानून
- भूमि सुधार और जमींदारी उन्मूलन कानून (Zamindari Abolition Laws)
- अनुसूचित जाति/जनजाति के लिए आरक्षण कानून
- कृषि और भूमि अधिग्रहण से जुड़े कानून
- औद्योगिक और कर कानून
अनुसूची 9 पर न्यायपालिका का रुख
1. केशवानंद भारती केस (1973) – मूल संरचना सिद्धांत
✅ सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान की मूल संरचना (Basic Structure) नहीं बदली जा सकती।
✅ सरकार कोई भी ऐसा कानून नहीं बना सकती जो मौलिक अधिकारों को खत्म करे।
2. आई.आर. कोएल्हो केस (2007) – न्यायिक समीक्षा बनी रहेगी
✅ सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन करने वाले कानून न्यायालय में चुनौती दिए जा सकते हैं।
✅ अनुच्छेद 14 (समानता) और अनुच्छेद 19 (स्वतंत्रता) के खिलाफ कोई भी कानून असंवैधानिक होगा।
अनुसूची 9 का महत्व और विवाद
✅ लाभ
- भूमि सुधार कानूनों की रक्षा: गरीब किसानों को भूमि प्रदान करने के लिए उपयोगी।
- सामाजिक न्याय: आरक्षण और सामाजिक कल्याण से जुड़े कानूनों को सुरक्षित रखता है।
- सरकार के निर्णयों की स्थिरता: कुछ कानूनों को बार-बार न्यायालय में चुनौती देने से बचाने में मदद करता है।
❌ विवाद
- सरकार के अधिकारों का दुरुपयोग: कई बार सरकारें अपने विवादित कानूनों को इसमें डालकर न्यायिक समीक्षा से बचने की कोशिश करती हैं।
- संविधान के मूल अधिकारों का उल्लंघन: कई मामलों में यह नागरिकों के मौलिक अधिकारों को प्रभावित कर सकता है।
- सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद न्यायिक समीक्षा संभव: अब कोई भी ऐसा कानून जो संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ है, अदालत में चुनौती दी जा सकती है।
निष्कर्ष
✅ अनुसूची 9 का मुख्य उद्देश्य भूमि सुधार और सामाजिक कल्याण से जुड़े कानूनों को न्यायालय की दखलंदाजी से बचाना था।
✅ हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन करने वाले कानून इसमें डालने पर भी असंवैधानिक माने जाएंगे।
✅ यह अनुसूची आज भी महत्वपूर्ण है, लेकिन इसका दुरुपयोग न हो, इसका ध्यान रखना जरूरी है।
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