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भारतीय संविधान की अनुसूची 12: नगर पालिका (Urban Local Bodies)

भारतीय संविधान की अनुसूची 12: नगर पालिका (Urban Local Bodies) के अधिकार

परिचय

भारतीय संविधान की अनुसूची 12 (Schedule 12) को 74वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 के माध्यम से जोड़ा गया था। यह नगर पालिकाओं (Municipalities) के कार्यों और अधिकारों को सूचीबद्ध करती है और शहरी स्थानीय प्रशासन (Urban Local Governance) को मजबूत करने का कार्य करती है।

इस अनुसूची में 18 विषयों की सूची दी गई है, जिन पर नगर पालिकाओं को अधिकार और जिम्मेदारी दी गई है। यह संविधान के भाग IX-A (Part IX-A) के तहत आती है, जो नगर पालिका प्रणाली (Urban Local Government) से संबंधित है।


अनुसूची 12 का उद्देश्य

नगर पालिकाओं को अधिक शक्तियाँ और जिम्मेदारी प्रदान करना।
शहरी क्षेत्रों में बेहतर बुनियादी ढाँचा और सेवाएँ प्रदान करना।
स्थानीय प्रशासन को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाना।
शहरी विकास को योजनाबद्ध और संगठित तरीके से लागू करना।


अनुसूची 12 में शामिल 18 विषयों की सूची

क्रमविषय
1शहरी नियोजन (Urban Planning)
2भूमि उपयोग नियमन और भवन निर्माण नियम
3आर्थिक और सामाजिक विकास की योजना
4सड़कों और पुलों का निर्माण और रखरखाव
5जल आपूर्ति – घरेलू, औद्योगिक और व्यावसायिक उपयोग
6सार्वजनिक स्वास्थ्य, स्वच्छता और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन
7अग्निशमन सेवाएँ
8शहरी वानिकी, पर्यावरण संरक्षण और पारिस्थितिकी सुधार
9कमजोर वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएँ (गरीबों और बेघरों के लिए आवास)
10झुग्गी-बस्तियों का उन्नयन और पुनर्वास
11नगरीय गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम
12सार्वजनिक सुविधाएँ – पार्क, उद्यान, खेल के मैदान
13सांस्कृतिक, शैक्षिक और सौंदर्यीकरण कार्य
14नगर परिवहन सेवाएँ (बस, ट्राम, मेट्रो आदि)
15सार्वजनिक सुविधाओं की रखरखाव सेवाएँ
16स्ट्रीट लाइटिंग, पार्किंग स्थल, बस स्टॉप आदि का प्रबंधन
17नगर विकास और प्रबंधन के लिए नगरपालिका टैक्स और शुल्क
18किसी भी अन्य विषय जो नगर प्रशासन के अंतर्गत आते हैं

74वां संविधान संशोधन और नगर पालिका प्रणाली

नगर पालिकाओं को संवैधानिक दर्जा दिया गया।
तीन प्रकार की नगर पालिकाएँ स्थापित की गईं:

  1. नगर निगम (Municipal Corporation) – बड़े शहरों के लिए
  2. नगर परिषद (Municipal Council) – मध्यम आकार के शहरों के लिए
  3. नगर पंचायत (Nagar Panchayat) – छोटे शहरों और कस्बों के लिए

नगर पालिका के चुनाव कराना राज्यों के लिए अनिवार्य कर दिया गया।
नगर पालिकाओं का कार्यकाल 5 साल तय किया गया।
महिलाओं, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण की व्यवस्था हुई।


अनुसूची 12 के लाभ

शहरी प्रशासन को स्वायत्तता और अधिक अधिकार मिले।
स्थानीय स्तर पर विकास योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन संभव हुआ।
शहरी बुनियादी ढांचे (सड़क, जल, सीवेज) में सुधार हुआ।
नगर पालिकाओं में जनता की भागीदारी बढ़ी।


अनुसूची 12 से संबंधित चुनौतियाँ

वित्तीय संसाधनों की कमी – नगर पालिकाओं के पास पर्याप्त राजस्व नहीं होता।
बढ़ती शहरी आबादी – नगर प्रशासन पर अत्यधिक दबाव।
भ्रष्टाचार और प्रशासनिक अक्षमता – कई योजनाएँ प्रभावी ढंग से लागू नहीं होतीं।
राजनीतिक हस्तक्षेप – कई बार नगर निकाय स्वतंत्र रूप से निर्णय नहीं ले पाते।


निष्कर्ष

अनुसूची 12 नगर पालिकाओं को शहरी विकास और प्रशासन में प्रभावी भूमिका निभाने के लिए सशक्त बनाती है।
शहरीकरण की चुनौतियों को हल करने के लिए नगर पालिकाओं की वित्तीय और प्रशासनिक क्षमता को बढ़ाने की आवश्यकता है।
शहरों में जनसंख्या वृद्धि और बुनियादी ढांचे की मांग को पूरा करने के लिए नगर प्रशासन को और अधिक सुधारों की जरूरत है।


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