भारतीय संविधान की अनुसूची 1: राज्यों और संघ शासित प्रदेशों की सूची
परिचय
भारतीय संविधान की अनुसूची 1 (Schedule 1) भारत के राज्यों और संघ शासित प्रदेशों (Union Territories) की सूची प्रदान करती है। यह अनुसूची यह निर्दिष्ट करती है कि देश में कौन-कौन से राज्य और केंद्र शासित प्रदेश हैं, और उनकी सीमाएँ क्या होंगी।
अनुसूची 1 का उद्देश्य
यह अनुसूची संविधान के प्रारंभ से ही भारत के प्रशासनिक विभाजन को परिभाषित करती है। इसमें समय-समय पर संशोधन करके नए राज्य बनाए गए हैं और कुछ राज्यों की सीमाओं में परिवर्तन किया गया है।
अनुसूची 1 में उल्लिखित राज्यों और संघ शासित प्रदेशों की सूची
वर्तमान में 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश इस अनुसूची में शामिल हैं।
भारत के 28 राज्य
- आंध्र प्रदेश
- अरुणाचल प्रदेश
- असम
- बिहार
- छत्तीसगढ़
- गोवा
- गुजरात
- हरियाणा
- हिमाचल प्रदेश
- झारखंड
- कर्नाटक
- केरल
- मध्य प्रदेश
- महाराष्ट्र
- मणिपुर
- मेघालय
- मिज़ोरम
- नागालैंड
- ओडिशा
- पंजाब
- राजस्थान
- सिक्किम
- तमिलनाडु
- तेलंगाना
- त्रिपुरा
- उत्तर प्रदेश
- उत्तराखंड
- पश्चिम बंगाल
भारत के 8 केंद्र शासित प्रदेश
- अंडमान और निकोबार द्वीप समूह
- चंडीगढ़
- दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव
- लक्षद्वीप
- दिल्ली
- पुडुचेरी
- लद्दाख
- जम्मू और कश्मीर
नोट: 2019 में जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के तहत, जम्मू और कश्मीर को एक संघ शासित प्रदेश बना दिया गया और लद्दाख को एक अलग संघ शासित प्रदेश के रूप में गठित किया गया।
संविधान में अनुसूची 1 के अंतर्गत संशोधन
भारतीय संविधान में समय-समय पर संशोधन करके नए राज्य बनाए गए हैं। कुछ महत्वपूर्ण संशोधन निम्नलिखित हैं:
- 1956 – राज्य पुनर्गठन अधिनियम: भाषा के आधार पर राज्यों का पुनर्गठन हुआ।
- 2000 – नए राज्यों का गठन: झारखंड, छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड का निर्माण हुआ।
- 2014 – तेलंगाना का गठन: आंध्र प्रदेश से अलग होकर नया राज्य बना।
- 2019 – जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन: जम्मू-कश्मीर राज्य को दो संघ शासित प्रदेशों में विभाजित किया गया।
निष्कर्ष
अनुसूची 1 भारतीय संविधान का एक महत्वपूर्ण भाग है, जो देश के संघीय ढांचे (Federal Structure) को परिभाषित करता है। इसमें समय के साथ आवश्यक बदलाव किए गए हैं ताकि भारत की प्रशासनिक आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सूची में भविष्य में भी बदलाव संभव हैं, जो संविधान में संशोधन के माध्यम से किए जा सकते हैं।
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