Prohibition of Child Marriage Act, 2006 की धारा 9 यह प्रावधान करती है कि यदि कोई पुरुष 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की से विवाह करता है, तो उसे कानूनी दंड दिया जाएगा।
धारा 9 के प्रमुख प्रावधान:
- अपराध करने वाला व्यक्ति:
- यदि कोई पुरुष 21 वर्ष या उससे अधिक उम्र का है और 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की से विवाह करता है, तो उसे इस धारा के तहत दंडित किया जाएगा।
- यह धारा पुरुष को सीधे उत्तरदायी ठहराती है, भले ही विवाह उसकी मर्जी से हुआ हो या नहीं।
- सजा का प्रावधान:
- ऐसे पुरुष को दो साल तक की कैद (Imprisonment up to 2 years) हो सकती है।
- या एक लाख रुपये तक का जुर्माना (Fine up to ₹1,00,000) लगाया जा सकता है।
- या दोनों सजा (कैद और जुर्माना) एक साथ दी जा सकती हैं।
- सख्त दंड का उद्देश्य:
- यह प्रावधान उन पुरुषों को दंडित करने के लिए बनाया गया है जो बाल विवाह में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं।
- यह बाल वधुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करता है और उन्हें शोषण से बचाने में मदद करता है।
महत्व:
- यह धारा स्पष्ट रूप से पुरुष को उत्तरदायी ठहराती है, जिससे बाल विवाह को रोकने में मदद मिलती है।
- इसमें कठोर दंड का प्रावधान है, ताकि समाज में बाल विवाह को हतोत्साहित किया जा सके।
- इससे नाबालिग लड़कियों के अधिकारों की सुरक्षा होती है और वे जबरन विवाह से बच सकती हैं।
निष्कर्ष:
धारा 9 यह सुनिश्चित करती है कि यदि कोई पुरुष 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की से विवाह करता है, तो उसे दंडित किया जाएगा। इस कानून का मुख्य उद्देश्य बाल विवाह को रोकना और दोषियों को सजा देना है, ताकि समाज में इस कुप्रथा का अंत हो सके।
अगर आपको इस धारा की और विस्तृत जानकारी चाहिए, तो बताइए!
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