Prohibition of Child Marriage Act, 2006 की धारा 10 उन लोगों को दंडित करने का प्रावधान करती है जो बाल विवाह को बढ़ावा देते हैं, इसे आयोजित करते हैं या इसमें सहायता करते हैं।
धारा 10 के प्रमुख प्रावधान:
- बाल विवाह को प्रोत्साहित करने या सहायता करने पर दंड:
- यदि कोई व्यक्ति बाल विवाह को आयोजित करता है, उसमें भाग लेता है, उसे बढ़ावा देता है, या किसी भी प्रकार से उसमें सहायता करता है, तो उसे सजा दी जाएगी।
- इसमें वे लोग भी शामिल हैं जो बाल विवाह के लिए स्थान (Venue) उपलब्ध कराते हैं या किसी भी रूप में इसे संभव बनाते हैं।
- सजा का प्रावधान:
- दोषी व्यक्ति को दो साल तक की कैद (Imprisonment up to 2 years) हो सकती है।
- या एक लाख रुपये तक का जुर्माना (Fine up to ₹1,00,000) लगाया जा सकता है।
- या दोनों सजा (कैद और जुर्माना) एक साथ दी जा सकती हैं।
- किन लोगों पर लागू होगा?
- माता-पिता या अभिभावक, यदि वे बाल विवाह के आयोजन में शामिल होते हैं।
- पंडित, मौलवी, पुजारी या अन्य कोई अधिकारी, जो बाल विवाह संपन्न कराते हैं।
- रिश्तेदार, मित्र, या समुदाय के लोग, जो विवाह को प्रोत्साहित करते हैं।
- होटल, विवाह स्थल (Marriage Hall) या कोई अन्य स्थान देने वाले व्यक्ति, यदि वे जानते हैं कि वहां बाल विवाह हो रहा है।
महत्व:
- यह धारा केवल वर-वधू तक सीमित नहीं है, बल्कि उन सभी लोगों पर लागू होती है जो बाल विवाह को बढ़ावा देते हैं।
- इससे माता-पिता, समाज और विवाह संपन्न कराने वाले धार्मिक अधिकारियों पर जवाबदेही तय होती है।
- इस प्रावधान से बाल विवाह को रोकने के लिए एक मजबूत कानूनी ढांचा तैयार किया गया है।
निष्कर्ष:
धारा 10 यह सुनिश्चित करती है कि जो कोई भी बाल विवाह को प्रोत्साहित करता है, उसमें सहायता करता है या उसे आयोजित करता है, उसे कठोर दंड दिया जाएगा। इससे बाल विवाह की घटनाओं को प्रभावी रूप से रोका जा सकता है।
अगर आपको इस धारा की और विस्तृत जानकारी चाहिए, तो बताइए!
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