मुस्लिम विवाह की आवश्यक शर्तें
परिचय
मुस्लिम विवाह (Nikah) एक सिविल अनुबंध (Civil Contract) है, जिसमें पति-पत्नी के बीच वैध संबंध स्थापित होता है। विवाह को मान्य (Valid) बनाने के लिए कुछ आवश्यक शर्तों (Essential Conditions) का पूरा होना जरूरी है। यदि ये शर्तें पूरी नहीं होतीं, तो विवाह अमान्य या अनियमित हो सकता है।
मुस्लिम विवाह की मुख्य शर्तें
1. प्रस्ताव और स्वीकृति (Offer & Acceptance – Ijab & Qubool)
✅ विवाह के लिए एक पक्ष द्वारा प्रस्ताव (Ijab) दिया जाता है और दूसरा पक्ष इसे स्वीकार (Qubool) करता है।
✅ यह स्पष्ट (Clear) और स्वेच्छा से (Free Consent) होना चाहिए।
✅ यदि कोई व्यक्ति जबरदस्ती या धोखे से विवाह करता है, तो वह विवाह अमान्य हो सकता है।
2. पति-पत्नी की योग्यता (Competency of Parties)
विवाह करने वाले दोनों व्यक्ति विवाह के लिए योग्य होने चाहिए। इसके लिए कुछ आवश्यक शर्तें होती हैं:
(A) विवाह के लिए आवश्यक आयु
✅ इस्लामी कानून में विवाह के लिए बालिग (Puberty) होना जरूरी है।
✅ आमतौर पर लड़कों के लिए 15 वर्ष और लड़कियों के लिए 9 वर्ष की उम्र को बालिग माना जाता है।
✅ भारतीय कानून के अनुसार, मुस्लिम विवाह में लड़की की न्यूनतम आयु 18 वर्ष और लड़के की 21 वर्ष होनी चाहिए।
(B) मानसिक रूप से सक्षम (Sound Mind)
✅ विवाह करने वाले व्यक्ति मानसिक रूप से स्वस्थ (Sane) होने चाहिए।
✅ यदि कोई व्यक्ति पागल (Insane) है या मानसिक रूप से अस्थिर है, तो उसका विवाह अमान्य हो सकता है।
(C) स्वतंत्रता (Free Will)
✅ विवाह के लिए दोनों पक्षों की सहमति (Consent) अनिवार्य है।
✅ यदि किसी व्यक्ति को जबरदस्ती या डराकर विवाह कराया जाता है, तो वह अमान्य (Void) हो सकता है।
3. गवाहों की उपस्थिति (Presence of Witnesses)
✅ सुन्नी मुस्लिमों के लिए विवाह में कम से कम दो पुरुष गवाह या एक पुरुष और दो महिला गवाह जरूरी होते हैं।
✅ शिया मुस्लिमों में विवाह बिना गवाहों के भी वैध माना जाता है।
✅ गवाहों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि विवाह सही तरीके से हो रहा है।
4. मेहर (Mahr) का निर्धारण
✅ मेहर (Mahr) मुस्लिम विवाह में पत्नी को दिया जाने वाला एक वित्तीय दायित्व (Financial Obligation) है।
✅ यह विवाह के समय या विवाह के बाद किसी भी समय दिया जा सकता है।
✅ मेहर दो प्रकार का होता है:
- मुअज्जल मेहर (Prompt Mahr) – विवाह के समय तुरंत दिया जाता है।
- मुअज्जल मेहर (Deferred Mahr) – विवाह के बाद किसी समय देने का वादा किया जाता है।
✅ यदि पति मेहर देने से इंकार करता है, तो पत्नी कानूनी रूप से इसे पाने के लिए अदालत जा सकती है।
5. निषिद्ध संबंधों में विवाह न हो (No Prohibited Relationships)
✅ विवाह केवल उन्हीं लोगों के बीच हो सकता है, जो इस्लामिक शरीयत (Shariat) के अनुसार वैध (Valid) हों।
✅ निम्नलिखित संबंधों में विवाह निषिद्ध (Prohibited) होता है:
- सगे रिश्तेदार (जैसे माता-पिता, भाई-बहन, चाचा-भतीजी, मामा-भांजी, आदि)।
- दूध रिश्ते (Foster Relations) – यदि किसी महिला ने किसी बच्चे को दूध पिलाया है, तो वह उसका रिश्तेदार माना जाएगा और उनसे विवाह नहीं किया जा सकता।
- ससुराल पक्ष के कुछ रिश्ते (जैसे पत्नी की माँ, बहन, पुत्री आदि)।
निष्कर्ष
✅ मुस्लिम विवाह एक कानूनी अनुबंध (Legal Contract) है, जिसे मान्य बनाने के लिए कुछ अनिवार्य शर्तों का पालन करना जरूरी है।
✅ प्रस्ताव और स्वीकृति, योग्य पति-पत्नी, गवाहों की उपस्थिति, मेहर की अदायगी और निषिद्ध संबंधों का पालन विवाह को वैध बनाते हैं।
✅ यदि इनमें से कोई भी शर्त पूरी नहीं होती, तो विवाह अमान्य (Void) या अनियमित (Irregular) हो सकता है।
इस्लामिक विवाह केवल एक धार्मिक प्रक्रिया ही नहीं, बल्कि एक कानूनी अनुबंध भी है, जो पति-पत्नी दोनों के अधिकारों और कर्तव्यों को सुनिश्चित करता है।
Related Post – Muslim Marriage Law
- मुस्लिम विवाह कानून – परिचय (Muslim Marriage Law in India)
- मुस्लिम विवाह की आवश्यक शर्तें ( Necessary conditions of Muslim marriage )
- मुस्लिम विवाह के प्रकार (types of muslim marriage)
- मेहर: मुस्लिम विवाह में दहेज नहीं, बल्कि एक अधिकार
- मुस्लिम विवाह में सहमति (Consent) का महत्व ( Importance of Consent in Muslim Marriage )
- मुस्लिम विवाह में गवाहों की आवश्यकता (Requirement of witnesses in a Muslim marriage)
- निकाहनामा (Marriage Contract) का महत्व
- मुस्लिम विवाह : निकाह में मेहर (Mahr) का महत्व
- मुस्लिम विवाह में ‘इद्दत’ (Iddat) का अर्थ, नियम और महत्व
- मुस्लिम विवाह में बहुविवाह (Polygamy) का नियम और शर्तें
- मुस्लिम विवाह में तलाक (Divorce) के प्रकार और प्रक्रिया
- तलाक-ए-अहसन और तलाक-ए-हसन: कानूनी रूप से वैध तरीके ( Talaq-e-Ahsan and Talaq-e-Hasan )
- मुस्लिम विवाह – तीन तलाक (Triple Talaq): अब अपराध क्यों?
- खुला (Khula): जब महिला खुद तलाक मांगे
- मुस्लिम महिलाओं के लिए न्यायिक तलाक (Judicial Divorce)
- मुस्लिम विवाह और भरण-पोषण (Maintenance Rights)
- मुस्लिम विवाह में विरासत और संपत्ति अधिकार ( Inheritance and Property Rights in Muslim Marriage )
- स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत मुस्लिम विवाह ( Muslim marriage under Special Marriage Act )
- मुस्लिम विवाह और सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले ( Muslim marriage and Supreme Court’s historic judgement )
- तलाक और सामाजिक प्रभाव (Social and Psychological Impact of Divorce)
- लिव-इन रिलेशनशिप और तलाक (Live-in Relationship and Its Legal Status in India)
Leave a Reply