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मुस्लिम विवाह में बहुविवाह (Polygamy) का नियम और शर्तें

मुस्लिम विवाह में बहुविवाह (Polygamy) का नियम और शर्तें

परिचय

इस्लाम में बहुविवाह (Polygamy) की अनुमति दी गई है, लेकिन इसे सख्त शर्तों और सीमाओं के साथ लागू किया गया है। एक मुस्लिम पुरुष को चार पत्नियाँ तक रखने की इजाजत है, लेकिन इसके लिए उसे सभी पत्नियों के साथ समानता और न्याय (Equality and Justice) का पालन करना अनिवार्य है। बहुविवाह का उद्देश्य समाज में महिलाओं की सुरक्षा, अनाथों की देखभाल और सामाजिक संतुलन बनाए रखना है।


1. इस्लाम में बहुविवाह (Polygamy) की अनुमति

✅ इस्लाम पुरुषों को एक से अधिक विवाह करने की अनुमति देता है, लेकिन अधिकतम चार पत्नियों तक
✅ यह अनुमति सीमित (Restricted) है और इसके लिए कुछ सख्त शर्तें रखी गई हैं।
✅ बहुविवाह को केवल सामाजिक और नैतिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ही मान्यता दी गई है।

कुरान में बहुविवाह का उल्लेख:
“यदि तुम्हें डर हो कि तुम अनाथों के साथ न्याय नहीं कर पाओगे, तो तुम उन महिलाओं से विवाह करो जो तुम्हें पसंद हैं – दो, तीन या चार; लेकिन यदि तुम्हें भय हो कि तुम उनके साथ समान व्यवहार नहीं कर पाओगे, तो केवल एक से विवाह करो।”
(सूरह अन-निसा 4:3)


2. बहुविवाह की शर्तें और नियम

(A) न्याय और समानता (Justice and Equality)

✔️ यदि कोई पुरुष एक से अधिक पत्नियाँ रखता है, तो उसे सभी पत्नियों के साथ समानता और न्याय का पालन करना होगा।
✔️ समानता का अर्थ है सभी को बराबर समय, प्यार, सम्मान और आर्थिक सहायता देना।
✔️ यदि पुरुष समान व्यवहार नहीं कर सकता, तो उसे केवल एक विवाह करने की सलाह दी गई है।

(B) आर्थिक और मानसिक क्षमता

✔️ पुरुष को आर्थिक रूप से सक्षम होना चाहिए, ताकि वह सभी पत्नियों की ज़रूरतें पूरी कर सके।
✔️ यदि कोई व्यक्ति आर्थिक रूप से असमर्थ है, तो उसे एक से अधिक विवाह नहीं करना चाहिए।
✔️ मानसिक रूप से भी पुरुष को सभी पत्नियों के साथ सम्मान और प्यार का व्यवहार करना होगा।

(C) पहली पत्नी की सहमति आवश्यक नहीं

✔️ इस्लाम में पहली पत्नी की सहमति के बिना भी दूसरा विवाह किया जा सकता है।
✔️ हालांकि, कई इस्लामी देशों में और भारत में सामाजिक तौर पर पहली पत्नी की सहमति को महत्वपूर्ण माना जाता है।


3. मुस्लिम महिलाओं के लिए बहुविवाह का नियम

❌ इस्लाम में पुरुषों को चार पत्नियाँ रखने की अनुमति दी गई है, लेकिन महिलाओं को एक से अधिक पति रखने की अनुमति नहीं है।
❌ इसका कारण वंश की शुद्धता (Lineage Purity) और सामाजिक संरचना को बनाए रखना है।
❌ यदि महिला को अपने पति से तलाक लेना हो, तो उसे खुला (Khula) लेने की अनुमति है।


4. क्या बहुविवाह इस्लाम में अनिवार्य है?

❌ नहीं, बहुविवाह अनिवार्य नहीं है, बल्कि केवल एक अनुमति (Permission) है।
❌ यदि पुरुष एक पत्नी के साथ खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहा है, तो उसे दूसरी शादी करने की जरूरत नहीं है।
❌ इस्लाम में एक ही पत्नी रखने को अधिक पसंद किया गया है, जब तक कि कोई विशेष सामाजिक या व्यक्तिगत कारण न हो।


5. बहुविवाह का उद्देश्य

✔️ समाज में महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करना।
✔️ युद्ध, आपदा या अन्य कारणों से अनाथ हुई महिलाओं और विधवाओं की देखभाल करना।
✔️ वंश वृद्धि और सामाजिक संतुलन बनाए रखना।
✔️ अनैतिक संबंधों से बचने के लिए विवाह को बढ़ावा देना।


6. भारतीय कानून में बहुविवाह की स्थिति

⚖️ भारत में मुस्लिम पर्सनल लॉ (Shariat Application Act, 1937) के तहत मुस्लिम पुरुषों को बहुविवाह की अनुमति दी गई है।
⚖️ हालांकि, अन्य धर्मों के पुरुषों के लिए बहुविवाह अवैध (Illegal) है।
⚖️ यदि कोई मुस्लिम व्यक्ति बहुविवाह करता है और उसकी पहली पत्नी को आपत्ति हो, तो वह न्यायालय में इस पर आपत्ति जता सकती है।
⚖️ मुस्लिम महिलाओं को बहुविवाह के खिलाफ खुला (Khula) या तलाक लेने का अधिकार है।


7. बहुविवाह से जुड़े विवाद और आलोचनाएँ

कुछ लोग इसे महिलाओं के अधिकारों के खिलाफ मानते हैं।
कुछ मामलों में पुरुष इस्लाम की गलत व्याख्या कर बहुविवाह का दुरुपयोग करते हैं।
महिलाओं के प्रति न्याय और समानता की शर्तों का सही तरीके से पालन नहीं किया जाता।
आधुनिक समाज में कई मुस्लिम देशों ने बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाया है या इसे सीमित कर दिया है।


8. किन देशों में बहुविवाह प्रतिबंधित है?

✔️ कुछ मुस्लिम देशों ने बहुविवाह पर आंशिक या पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया है।
✔️ तुर्की, ट्यूनिशिया और ताजिकिस्तान जैसे देशों में बहुविवाह गैरकानूनी है।
✔️ सऊदी अरब, पाकिस्तान, इंडोनेशिया और भारत में मुस्लिम पुरुषों को बहुविवाह की अनुमति है।


9. बहुविवाह से जुड़े महत्वपूर्ण न्यायिक फैसले (India)

⚖️ शाह बानो केस (1985): सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम महिलाओं को भी भरण-पोषण का अधिकार मिलना चाहिए।
⚖️ शायरा बानो केस (Triple Talaq, 2017): तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित किया गया।
⚖️ बहुविवाह पर PIL: भारत में बहुविवाह के खिलाफ कई बार याचिकाएँ दायर की गई हैं, लेकिन मुस्लिम पर्सनल लॉ की वजह से इसे जारी रखा गया है।


10. निष्कर्ष

इस्लाम में बहुविवाह की अनुमति है, लेकिन यह अनिवार्य नहीं है।
चार पत्नियाँ रखने की अनुमति केवल सख्त शर्तों के साथ दी गई है – न्याय और समानता अनिवार्य है।
यदि पुरुष सभी पत्नियों के साथ समानता और न्याय नहीं कर सकता, तो उसे केवल एक पत्नी रखने की सलाह दी गई है।
भारतीय कानून में मुस्लिम पुरुषों को बहुविवाह की अनुमति दी गई है, लेकिन यह अन्य धर्मों के लिए अवैध है।
बहुविवाह का उद्देश्य समाज में महिलाओं को सुरक्षा देना और नैतिकता को बनाए रखना है, लेकिन इसके गलत उपयोग की संभावना भी बनी रहती है।

इसलिए, बहुविवाह को इस्लाम में एक वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में देखा गया है, न कि एक अनिवार्यता के रूप में।

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