Legal And Law Advisory

By Learnwithms.in

“आपका कानूनी ज्ञान साथी!”

Home » भारतीय कानून » कानूनी गाईड » तलाक » मुस्लिम विवाह में तलाक (Divorce) के प्रकार और प्रक्रिया

मुस्लिम विवाह में तलाक (Divorce) के प्रकार और प्रक्रिया

मुस्लिम विवाह में तलाक (Divorce) के प्रकार और प्रक्रिया

परिचय

इस्लाम में विवाह (Nikah) एक पवित्र और कानूनी अनुबंध (Contract) माना जाता है। लेकिन यदि पति-पत्नी के बीच संबंध अच्छे नहीं रहते और विवाह टिक नहीं पाता, तो इस्लाम में तलाक (Divorce) की अनुमति दी गई है। हालांकि, तलाक को इस्लाम में सबसे नापसंद चीजों में से एक माना गया है और इसे अंतिम विकल्प के रूप में अपनाने की सलाह दी गई है।


1. इस्लाम में तलाक के प्रकार

इस्लामिक कानून (Sharia Law) के तहत तलाक को मुख्य रूप से तीन प्रकारों में विभाजित किया गया है:

1️⃣ तलाक़-ए-अहसन (Talaq-e-Ahsan) – सबसे अच्छा और सही तरीका।
2️⃣ तलाक़-ए-हसन (Talaq-e-Hasan) – शरियत के अनुसार मान्य दूसरा तरीका।
3️⃣ तलाक़-ए-बिद्दत (Talaq-e-Biddat) या तीन तलाक – तुरंत प्रभावी तलाक (अब भारत में अवैध)।

इसके अलावा, मुस्लिम महिलाओं को भी तलाक लेने का अधिकार दिया गया है, जिसे खुला (Khula) कहा जाता है।


2. तलाक़-ए-अहसन (Talaq-e-Ahsan)

यह इस्लाम में तलाक देने का सबसे अच्छा और पसंदीदा तरीका है।
✅ इसमें पति केवल एक बार “तलाक” बोलता है और फिर इद्दत (Iddat) की अवधि तक इंतजार करता है।
✅ इद्दत की अवधि तीन मासिक धर्म (Menstrual Cycles) तक होती है।
✅ यदि इस दौरान पति-पत्नी में सुलह हो जाती है, तो तलाक स्वतः रद्द हो जाता है।
✅ यदि इद्दत की अवधि समाप्त हो जाती है और सुलह नहीं होती, तो तलाक पक्का (Final) हो जाता है।


3. तलाक़-ए-हसन (Talaq-e-Hasan)

यह भी एक सही और इस्लाम में मान्य तलाक की प्रक्रिया है।
✅ इसमें पति तीन अलग-अलग मौकों पर “तलाक” कहता है – प्रत्येक मासिक धर्म (Menstrual Cycle) के बाद।
✅ यदि तीसरी बार तलाक बोलने के बाद भी सुलह नहीं होती, तो तलाक पक्का हो जाता है।
✅ अगर बीच में पति-पत्नी में सुलह हो जाती है, तो तलाक स्वतः रद्द हो जाता है।


4. तलाक़-ए-बिद्दत (Talaq-e-Biddat) या तीन तलाक

⚠️ तीन बार “तलाक, तलाक, तलाक” कहकर तुरंत तलाक देने की प्रक्रिया को “तीन तलाक” कहा जाता है।
⚠️ यह तलाक तुरंत लागू हो जाता था, लेकिन इस्लाम में इसे एक गलत और नापसंद तरीका माना गया है।
⚠️ भारत में 2019 में एक कानून पास करके इसे गैरकानूनी घोषित कर दिया गया है।
⚠️ यदि कोई मुस्लिम पुरुष अपनी पत्नी को तीन तलाक देता है, तो वह अपराधी माना जाएगा और उसे 3 साल तक की सजा हो सकती है।


5. मुस्लिम महिलाओं द्वारा तलाक लेने का अधिकार (खुला और फस्ख)

(A) खुला (Khula) – जब पत्नी तलाक चाहती है

✅ यदि पत्नी अपने पति से तलाक लेना चाहती है, तो उसे खुला (Khula) लेने का अधिकार है।
✅ खुला लेने के लिए पत्नी को अपने पति से अनुमति नहीं लेनी पड़ती।
✅ पत्नी को अपने मेहर (Mahr) या कुछ धनराशि छोड़नी पड़ सकती है ताकि तलाक हो सके।
✅ खुला के बाद, इद्दत की अवधि पूरी करनी होती है।

(B) फस्ख (Faskh) – कोर्ट द्वारा तलाक

✅ यदि पति-पत्नी के बीच संबंध इतने खराब हो जाएँ कि सुलह संभव न हो, तो पत्नी शरीयत अदालत (Sharia Court) या सिविल कोर्ट में तलाक की अर्जी (Petition) डाल सकती है।
✅ यह तलाक तब दिया जाता है, जब पति:
✔️ पत्नी का पालन-पोषण नहीं करता।
✔️ शारीरिक या मानसिक रूप से प्रताड़ित करता है।
✔️ नपुंसक हो या गंभीर बीमारी से पीड़ित हो।
✔️ लंबे समय से गायब हो या छोड़कर चला गया हो।


6. तलाक के बाद “हलाला” (Halala) का नियम

⚠️ यदि पति-पत्नी के बीच तलाक हो जाता है और बाद में वे फिर से शादी करना चाहते हैं, तो इस्लाम में एक नियम है जिसे “हलाला” (Halala) कहा जाता है।
⚠️ हलाला का अर्थ है कि पत्नी को पहले किसी और व्यक्ति से निकाह करना होगा, फिर यदि वह तलाक देता है या उसकी मृत्यु हो जाती है, तो ही वह अपने पहले पति से दोबारा शादी कर सकती है।
⚠️ हलाला की प्रक्रिया को आज के समय में काफी विवादास्पद माना जाता है।


7. तलाक के बाद “इद्दत” (Iddat) की अनिवार्यता

✅ तलाक के बाद, पत्नी को इद्दत की अवधि पूरी करनी होती है।
✅ इद्दत का समय:
✔️ तीन मासिक धर्म (Menstrual Cycles) – यदि महिला को मासिक धर्म आता है।
✔️ तीन महीने (3 Months) – यदि महिला को मासिक धर्म नहीं आता।
✔️ चार महीने दस दिन (4 Months 10 Days) – यदि पति की मृत्यु हो गई हो।
✔️ बच्चे के जन्म तक – यदि महिला गर्भवती हो।


8. तलाक से जुड़े भारतीय कानून

⚖️ मुस्लिम पर्सनल लॉ (Shariat Act, 1937): मुस्लिमों के तलाक के मामलों में शरीयत कानून लागू होता है।
⚖️ मुस्लिम विवाह विघटन अधिनियम, 1939 (Dissolution of Muslim Marriage Act, 1939): मुस्लिम महिलाओं को कोर्ट में तलाक लेने का अधिकार देता है।
⚖️ तीन तलाक कानून (Triple Talaq Act, 2019): तीन तलाक को गैरकानूनी और दंडनीय अपराध घोषित किया गया।


9. तलाक से जुड़े विवाद और आलोचनाएँ

तीन तलाक की प्रथा को अनुचित माना गया, इसलिए इसे भारत में बैन कर दिया गया।
हलाला को लेकर समाज में कई मतभेद हैं, क्योंकि इसका कई बार गलत इस्तेमाल होता है।
कुछ मुस्लिम देश जैसे टर्की, ट्यूनीशिया आदि ने तीन तलाक पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है।
मुस्लिम महिलाओं को तलाक लेने के लिए कई बार सामाजिक और कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।


10. निष्कर्ष

✅ इस्लाम में तलाक की अनुमति है, लेकिन इसे अंतिम उपाय के रूप में अपनाने की सलाह दी गई है।
✅ तलाक के तीन मुख्य प्रकार हैं – तलाक-ए-अहसन, तलाक-ए-हसन और तलाक-ए-बिद्दत।
✅ मुस्लिम महिलाओं को भी खुला और फस्ख के माध्यम से तलाक लेने का अधिकार है।
✅ भारत में तीन तलाक गैरकानूनी घोषित किया जा चुका है।
✅ तलाक के बाद महिलाओं को इद्दत की अवधि पूरी करनी होती है।
✅ तलाक के मामलों में भारतीय कानून और मुस्लिम पर्सनल लॉ दोनों लागू होते हैं।

इस्लाम में तलाक को जरूरत पड़ने पर ही अपनाने की सलाह दी गई है और सुलह को प्राथमिकता दी गई है।

Related Post – Muslim Marriage Law


Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *