भूमिका
जब पति-पत्नी में से कोई एक विदेश (NRI – Non-Resident Indian) में रहता हो, तो तलाक की प्रक्रिया और जटिल हो जाती है।
एनआरआई तलाक से जुड़े मुख्य मुद्दे होते हैं:
✔ तलाक किस देश के कानून के तहत होगा?
✔ भारत में तलाक की मान्यता कैसे मिलेगी?
✔ बच्चों की कस्टडी और गुजारा भत्ता का क्या होगा?
इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि एनआरआई तलाक के कानूनी पहलू क्या हैं और इस प्रक्रिया को कैसे अपनाया जाए।
1. एनआरआई तलाक के प्रकार
(A) आपसी सहमति से तलाक (Mutual Consent Divorce)
✔ अगर दोनों पति-पत्नी तलाक के लिए सहमत हैं, तो भारत में हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13B के तहत तलाक फाइल किया जा सकता है।
✔ अगर विदेश में तलाक लिया गया है, तो उसे भारत में मान्यता (Recognition) दिलाने के लिए अदालत में याचिका दायर करनी होगी।
(B) एकतरफा तलाक (Contested Divorce)
✔ अगर कोई एक पक्ष तलाक नहीं चाहता, तो दूसरे को भारत के वैवाहिक कानूनों के तहत तलाक का मुकदमा दायर करना होगा।
✔ एकतरफा तलाक के सामान्य आधार –
- क्रूरता (Cruelty)
- व्यभिचार (Adultery)
- मरुस्थलीकरण (Desertion)
- मानसिक विकार (Mental Disorder)
✔ विदेश में दायर किया गया एकतरफा तलाक भारतीय अदालतों में स्वीकृत नहीं होता, जब तक कि दोनों पक्ष सुनवाई में शामिल न हुए हों।
2. एनआरआई तलाक के लिए किस देश का कानून लागू होगा?
(A) भारतीय कानून (Hindu Marriage Act, 1955 / Special Marriage Act, 1954)
✔ यदि शादी भारत में हुई है और दोनों भारतीय नागरिक हैं, तो तलाक भारतीय कानून के तहत ही होगा।
(B) विदेशी कानून (Foreign Divorce Laws)
✔ यदि पति-पत्नी विदेश में रहते हैं और वहीं तलाक फाइल करते हैं, तो उस देश के कानून लागू हो सकते हैं।
✔ लेकिन अगर भारतीय नागरिकों की शादी भारतीय कानून के तहत हुई है, तो विदेशी कोर्ट का फैसला भारत में तभी मान्य होगा, जब –
- दोनों पक्षों को सुनवाई का मौका मिला हो।
- तलाक प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के अनुरूप हो।
- तलाक का आधार भारतीय कानून के अनुरूप हो।
3. विदेशी अदालत के तलाक की भारत में मान्यता (Recognition of Foreign Divorce in India)
(A) सुप्रीम कोर्ट के अनुसार विदेशी तलाक के नियम
✔ सुप्रीम कोर्ट ने “य. नरेंद्र बनाम कुमारी मेघा (2016)” केस में कहा कि विदेशी कोर्ट का तलाक भारत में तभी मान्य होगा, जब –
- तलाक का आधार भारतीय कानून के अनुरूप हो।
- दोनों पक्षों को सुनवाई का समान अवसर मिला हो।
- धोखाधड़ी या दबाव में तलाक न लिया गया हो।
(B) विदेशी तलाक को भारत में मान्यता दिलाने की प्रक्रिया
✔ अगर किसी एनआरआई ने विदेश में तलाक लिया है और वह भारत में भी मान्यता चाहता है, तो उसे –
- भारतीय पारिवारिक न्यायालय (Family Court) में “Foreign Judgment Recognition Petition” दायर करनी होगी।
- अदालत यह देखेगी कि तलाक भारतीय कानून के अनुरूप है या नहीं।
✔ अगर तलाक आपसी सहमति से हुआ है और दोनों पक्ष कोर्ट में उपस्थित हुए थे, तो भारतीय अदालत इसे स्वीकार कर सकती है।
✔ एकतरफा तलाक को भारतीय अदालत में चुनौती दी जा सकती है।
4. एनआरआई तलाक में बच्चे की कस्टडी (Child Custody in NRI Divorce Cases)
✔ एनआरआई तलाक में बच्चे की कस्टडी सबसे बड़ा विवाद हो सकता है।
✔ भारत में कस्टडी का निर्णय Guardian and Wards Act, 1890 और Hindu Minority and Guardianship Act, 1956 के तहत होता है।
(A) बच्चे की कस्टडी के लिए मुख्य कारक
✔ बच्चे की भलाई (Welfare of Child) सर्वोपरि होती है।
✔ बच्चे की आयु और उसकी पसंद (यदि वह 9 वर्ष से अधिक का हो)।
✔ माता-पिता की आर्थिक स्थिति और पालन-पोषण की क्षमता।
(B) एनआरआई माता-पिता के लिए भारत में कस्टडी का दावा
✔ यदि कोई माता-पिता बच्चा विदेश ले जाता है और दूसरा माता-पिता भारत में है, तो हाई कोर्ट में “Habeas Corpus Petition” दायर की जा सकती है।
✔ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर “हैग कन्वेंशन” (Hague Convention on Child Abduction) का पालन करना होता है, लेकिन भारत इस संधि का सदस्य नहीं है।
5. गुजारा भत्ता और संपत्ति विवाद (Alimony & Property Disputes in NRI Divorce)
✔ पत्नी तलाक के बाद भरण-पोषण (Alimony) और संपत्ति में हिस्सा मांग सकती है।
✔ पति की आय, पत्नी की जरूरत और विवाह की अवधि को ध्यान में रखते हुए भरण-पोषण तय किया जाता है।
(A) गुजारा भत्ता के लिए विदेशी कोर्ट का आदेश
✔ यदि विदेशी कोर्ट ने भरण-पोषण दिया है, तो भारत में भी उसका पालन करना होगा।
✔ अगर पति भारत में संपत्ति रखता है, तो पत्नी भारतीय अदालत में दावा कर सकती है।
6. एनआरआई तलाक के कानूनी समाधान (Legal Remedies for NRI Divorce Cases)
(A) विदेश में तलाक का सामना कर रहे भारतीय नागरिक के लिए उपाय
✔ यदि कोई भारतीय नागरिक विदेश में है और उसके खिलाफ तलाक फाइल किया गया है, तो उसे –
- विदेशी कोर्ट में पेश होना चाहिए।
- अगर वह भारत में है, तो विदेश मंत्रालय की मदद से अपना पक्ष रख सकता है।
(B) झूठे केस में बचाव के लिए उपाय
✔ अगर एनआरआई पति के खिलाफ 498A (दहेज उत्पीड़न) या घरेलू हिंसा का झूठा केस दर्ज हुआ है, तो –
- अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail) के लिए अपील करें।
- विदेश मंत्रालय (Ministry of External Affairs) और भारतीय दूतावास से संपर्क करें।
- “Look-Out Circular (LOC)” से बचने के लिए कानूनी सहायता लें।
7. निष्कर्ष (Conclusion)
✔ एनआरआई तलाक में सबसे बड़ी चुनौती विदेशी कोर्ट और भारतीय कानून के बीच तालमेल बिठाने की होती है।
✔ विदेश में लिया गया तलाक भारत में तभी मान्य होगा, जब वह भारतीय कानूनों के अनुरूप हो।
✔ बच्चे की कस्टडी और भरण-पोषण के मामलों में भारतीय अदालतें बच्चे के सर्वोत्तम हित को प्राथमिकता देती हैं।
✔ एनआरआई तलाक मामलों में कानूनी सलाह बहुत महत्वपूर्ण है, ताकि भविष्य में कोई जटिलता न आए।
अगर आपका कोई सवाल है, तो हमें कमेंट में बताएं!
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