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मुस्लिम विवाह में विरासत और संपत्ति अधिकार ( Inheritance and Property Rights in Muslim Marriage )

मुस्लिम विवाह में विरासत और संपत्ति अधिकार

परिचय

मुस्लिम कानून (Islamic Law) के तहत विरासत (Inheritance) और संपत्ति के अधिकार (Property Rights) स्पष्ट रूप से निर्धारित किए गए हैं। इस्लामी कानून के अनुसार, संपत्ति का बंटवारा शरीयत (Sharia Law) के सिद्धांतों के आधार पर किया जाता है।

भारत में मुस्लिमों की संपत्ति का उत्तराधिकार मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) अधिनियम, 1937 के अनुसार तय होता है। इसमें पति, पत्नी, बच्चों, माता-पिता और अन्य करीबी रिश्तेदारों के अधिकार निर्धारित किए गए हैं।


पति-पत्नी और बच्चों के लिए संपत्ति नियम

1. मुस्लिम पति का संपत्ति अधिकार (Husband’s Property Rights)

✅ मुस्लिम पति को अपनी पत्नी की संपत्ति में उत्तराधिकार (Inheritance Right) प्राप्त होता है, लेकिन यह पत्नी की मृत्यु के बाद लागू होता है।
✅ यदि पत्नी की कोई संतान नहीं है, तो पति को 1/2 (आधी संपत्ति) का अधिकार मिलता है।
✅ यदि पत्नी की संतान है, तो पति को 1/4 (चौथाई संपत्ति) का अधिकार मिलता है।

➡ उदाहरण:

  • यदि किसी महिला की मृत्यु हो जाती है और उसकी कोई संतान नहीं है, तो उसकी संपत्ति का 50% उसके पति को मिलेगा और शेष हिस्सा उसके माता-पिता या अन्य कानूनी उत्तराधिकारियों को जाएगा।
  • अगर महिला की संतान है, तो पति को 25% संपत्ति मिलेगी और शेष संपत्ति बच्चों और अन्य वारिसों में बंटेगी।

2. मुस्लिम पत्नी का संपत्ति अधिकार (Wife’s Property Rights)

✅ मुस्लिम पत्नी को पति की संपत्ति में उत्तराधिकार मिलता है, लेकिन पति की मृत्यु के बाद।
✅ यदि पति की कोई संतान नहीं है, तो पत्नी को 1/4 (चौथाई संपत्ति) का अधिकार मिलता है।
✅ यदि पति की संतान है, तो पत्नी को 1/8 (आठवां हिस्सा) का अधिकार मिलता है।
✅ अगर पति की एक से अधिक पत्नियाँ हैं, तो 1/8 का हिस्सा सभी पत्नियों में बाँटा जाता है (यदि संतान है) और 1/4 का हिस्सा सभी पत्नियों में बाँटा जाता है (यदि संतान नहीं है)।

➡ उदाहरण:

  • यदि पति की मृत्यु हो जाती है और उसकी कोई संतान नहीं है, तो उसकी संपत्ति का 25% उसकी पत्नी को मिलेगा और बाकी उसके माता-पिता या अन्य वारिसों को मिलेगा।
  • अगर पति की संतान है, तो पत्नी को 12.5% (1/8) संपत्ति मिलेगी और बाकी संपत्ति बच्चों और अन्य कानूनी वारिसों में बंटेगी।

3. मुस्लिम बच्चों का संपत्ति अधिकार (Children’s Property Rights)

✅ मुस्लिम कानून में बेटे और बेटी दोनों को पिता और माता की संपत्ति में अधिकार मिलता है
बेटे को बेटी से दुगुना हिस्सा मिलता है (Son gets twice the share of a daughter)।
✅ यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है और उसके तीन बेटे और दो बेटियाँ हैं, तो संपत्ति का बंटवारा इस्लामी कानून के अनुसार किया जाएगा, जिसमें बेटों को बेटियों से दोगुना हिस्सा मिलेगा।

➡ उदाहरण:
यदि किसी मुस्लिम व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है और उसकी संपत्ति ₹10 लाख है, और उसके 1 बेटा और 1 बेटी हैं, तो बंटवारा इस प्रकार होगा:

  • बेटे को ₹6.67 लाख (2/3 हिस्सा) मिलेगा।
  • बेटी को ₹3.33 लाख (1/3 हिस्सा) मिलेगा।

(A) दत्तक (Adopted) बच्चों का संपत्ति अधिकार

✅ इस्लामिक कानून में दत्तक (Adopted) बच्चों को जैविक संतान के समान उत्तराधिकार नहीं मिलता
✅ यदि कोई मुस्लिम व्यक्ति अपने दत्तक पुत्र को संपत्ति देना चाहता है, तो वह वसीयत (Will) के माध्यम से अधिकतम 1/3 (एक-तिहाई) संपत्ति दे सकता है।

(B) नाजायज (Illegitimate) संतान का संपत्ति अधिकार

शरीयत के अनुसार नाजायज संतान (Illegitimate Child) को पिता की संपत्ति में कोई अधिकार नहीं होता
✅ लेकिन नाजायज संतान को माँ की संपत्ति में पूर्ण उत्तराधिकार (Full Inheritance Rights) प्राप्त होता है।


4. माता-पिता का संपत्ति अधिकार (Parents’ Property Rights)

यदि संतान की मृत्यु हो जाती है, तो माता-पिता को भी उत्तराधिकार का अधिकार होता है।
✅ यदि मृतक का कोई संतान नहीं है, तो माता को 1/3 (33%) संपत्ति मिलती है और पिता को बाकी संपत्ति मिलती है।
✅ यदि मृतक की संतान है, तो माता को 1/6 (16.67%) संपत्ति मिलती है।

➡ उदाहरण:

  • यदि किसी मुस्लिम व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है और उसकी कोई संतान नहीं है, तो उसकी संपत्ति में 33% उसकी माँ को और शेष उसके पिता को मिलेगा
  • यदि संतान है, तो माँ को 16.67% और बाकी संपत्ति बेटों और बेटियों में शरीयत के अनुसार बंटेगी।

5. वसीयत (Will) और हिबा (Gift) के नियम

मुस्लिम संपत्ति कानून में वसीयत (Will) और हिबा (Gift) के अलग-अलग प्रावधान हैं।

(A) वसीयत (Will) के नियम

✅ मुस्लिम व्यक्ति अपनी संपत्ति का केवल 1/3 (एक-तिहाई) हिस्सा वसीयत के रूप में किसी को भी दे सकता है।
✅ यदि वसीयत का हिस्सा 1/3 से अधिक है, तो बाकी उत्तराधिकारियों की सहमति आवश्यक होगी।
✅ वसीयत किसी गैर-वारिस को भी दी जा सकती है।

(B) हिबा (Gift) के नियम

✅ मुस्लिम व्यक्ति अपनी संपत्ति का पूरा हिस्सा जीवनकाल में किसी को भी गिफ्ट कर सकता है
हिबा में किसी की सहमति की जरूरत नहीं होती और इसे चुनौती नहीं दी जा सकती।
✅ यदि कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति का कोई हिस्सा हिबा (Gift) करता है, तो प्राप्तकर्ता को तुरंत उसका स्वामित्व मिल जाता है।


6. गैर-मुस्लिम से विवाह और संपत्ति अधिकार

✅ इस्लामी कानून के अनुसार, एक मुस्लिम महिला यदि गैर-मुस्लिम पुरुष से शादी करती है, तो उसका उत्तराधिकार समाप्त हो जाता है
✅ मुस्लिम पुरुष को गैर-मुस्लिम महिला से विवाह करने की अनुमति है, लेकिन इससे उत्तराधिकार प्रभावित नहीं होता।
✅ यदि कोई व्यक्ति इस्लाम धर्म छोड़कर किसी अन्य धर्म को अपना लेता है, तो उसके उत्तराधिकार पर असर पड़ सकता है।


निष्कर्ष

✅ मुस्लिम विवाह में पति, पत्नी, बच्चों, माता-पिता और अन्य रिश्तेदारों के उत्तराधिकार के नियम शरीयत के अनुसार निर्धारित हैं।
✅ पति और पत्नी को एक-दूसरे की संपत्ति में सीमित हिस्सा मिलता है, जबकि बेटे को बेटी से दोगुना हिस्सा मिलता है
✅ वसीयत केवल 1/3 संपत्ति तक सीमित होती है, जबकि हिबा (Gift) में पूरी संपत्ति दी जा सकती है।
✅ माता-पिता को भी संतान की मृत्यु के बाद संपत्ति का हिस्सा मिलता है।
✅ दत्तक संतान को उत्तराधिकार नहीं मिलता, लेकिन माँ की संपत्ति में नाजायज संतान का अधिकार होता है।

इन नियमों का पालन मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत किया जाता है, लेकिन भारतीय न्यायालयों में विभिन्न कानूनी मामलों में इनके व्याख्यान और व्यावहारिकता को भी देखा जाता है।

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