भारतीय संविधान का अनुच्छेद 15: समानता का अधिकार
अनुच्छेद 15 क्या कहता है?
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 15 नागरिकों को समानता का अधिकार (Right to Equality) प्रदान करता है। यह अनुच्छेद सरकार को किसी भी नागरिक के साथ धर्म, जाति, लिंग, जन्म स्थान या नस्ल के आधार पर भेदभाव करने से रोकता है।
अनुच्छेद 15 की प्रमुख बातें:
- राज्य किसी भी नागरिक के साथ धर्म, जाति, लिंग, जन्म स्थान या नस्ल के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकता।
- सार्वजनिक स्थानों (होटल, दुकानें, पार्क, कुएं, तालाब आदि) में सभी नागरिकों को समान अधिकार प्राप्त हैं।
- महिलाओं और बच्चों के कल्याण के लिए विशेष प्रावधान किए जा सकते हैं।
- अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और पिछड़े वर्गों (OBC) के लिए विशेष सुविधाएं दी जा सकती हैं।
- शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए समाज के कमजोर वर्गों को आरक्षण दिया जा सकता है।
संविधान संशोधन और अनुच्छेद 15 में बदलाव
- 93वां संविधान संशोधन (2005): इस संशोधन के तहत, सरकार को यह अधिकार दिया गया कि वह पिछड़े वर्गों के लिए शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण प्रदान कर सके।
- 103वां संविधान संशोधन (2019): इसमें आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) को 10% आरक्षण देने की व्यवस्था की गई।
अनुच्छेद 15 और भारतीय न्यायपालिका
- चंपकम दोरैराजन बनाम मद्रास राज्य (1951): यह पहला महत्वपूर्ण मामला था जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य किसी भी आधार पर भेदभाव नहीं कर सकता, लेकिन सरकार संशोधन करके आरक्षण लागू कर सकती है।
- इंदिरा साहनी केस (1992): इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की सीमा 50% तक तय की और कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए भी आरक्षण की व्यवस्था हो सकती है।
- जनहित अभियान बनाम भारत सरकार (2022): सुप्रीम कोर्ट ने EWS आरक्षण को संवैधानिक रूप से वैध ठहराया।
निष्कर्ष
अनुच्छेद 15 भारतीय नागरिकों को समानता का मौलिक अधिकार देता है। यह समाज में न्याय, समानता और समरसता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण प्रावधान है। समय-समय पर न्यायपालिका ने इसे और मजबूत बनाया है, जिससे सभी नागरिकों को समान अधिकार सुनिश्चित किया जा सके।
FAQs
- अनुच्छेद 15 क्या कहता है?
→ अनुच्छेद 15 सरकार को धर्म, जाति, लिंग, जन्म स्थान या नस्ल के आधार पर भेदभाव करने से रोकता है। - अनुच्छेद 15 में महिलाओं के लिए क्या प्रावधान हैं?
→ महिलाओं के कल्याण और सुरक्षा के लिए विशेष कानून बनाए जा सकते हैं। - क्या अनुच्छेद 15 के तहत आरक्षण दिया जाता है?
→ हां, SC, ST, OBC और EWS के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई है। - अनुच्छेद 15 और अनुच्छेद 16 में क्या अंतर है?
→ अनुच्छेद 15 नागरिकों को सार्वजनिक जीवन में समानता का अधिकार देता है, जबकि अनुच्छेद 16 सरकारी नौकरियों में समान अवसर की बात करता है।
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- अनुच्छेद 15 और आरक्षण नीति
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- भारतीय संविधान का अनुच्छेद 15: समानता का अधिकार
- अनुच्छेद 16: सार्वजनिक रोजगार में अवसर की समानता
- अनुच्छेद 17: अस्पृश्यता का उन्मूलन (Untouchability)
- अनुच्छेद 18: उपाधियों (Titles) का उन्मूलन
- अनुच्छेद 19: स्वतंत्रता सहित नागरिकों के मौलिक अधिकार
- अनुच्छेद 20: अपराधों से संबंधित मौलिक अधिकार ( Fundamental Rights relating to offences )
- अनुच्छेद 21: जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार ( Right to life and personal liberty )
- अनुच्छेद 21A: शिक्षा का अधिकार (Right to Education)
- अनुच्छेद 22: गिरफ्तारी और नजरबंदी से सुरक्षा (Protection Against Arrest and Detention)
- अनुच्छेद 23: मानव तस्करी और जबरन श्रम पर प्रतिबंध
- अनुच्छेद 24: बाल श्रम पर प्रतिबंध ( ban on child labor )
- अनुच्छेद 25: धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार ( right to religious freedom )
- अनुच्छेद 26: धर्म, धार्मिक संस्थाओं और उनके प्रशासन की स्वतंत्रता
- अनुच्छेद 27: धर्म के प्रचार के लिए कर का भुगतान न किया जाए
- अनुच्छेद 28: धार्मिक शिक्षा से संबंधित प्रावधान ( Provisions relating to religious education )
- अनुच्छेद 29: अल्पसंख्यकों के हितों का संरक्षण ( Protection of the interests of minorities )
- अनुच्छेद 30: अल्पसंख्यकों को शैक्षिक संस्थान स्थापित करने और प्रबंधित करने का अधिकार
- भारतीय संविधान का अनुच्छेद 31 (Article 31) – संपत्ति का अधिकार और उसका निष्कासन
- भारतीय संविधान का अनुच्छेद 32 (Article 32) – मौलिक अधिकारों की रक्षा का अधिकार
- भारतीय संविधान का अनुच्छेद 33 (Article 33) – सशस्त्र बलों में मौलिक अधिकारों पर प्रतिबंध
- भारतीय संविधान का अनुच्छेद 34 (Article 34) – मार्शल लॉ और मौलिक अधिकारों पर प्रतिबंध (Martial Law and Restrictions on Fundamental Rights)
- भारतीय संविधान का अनुच्छेद 35 (Article 35) – संसद के विशेष अधिकार (Parliament’s Exclusive Powers)
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