हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 – धारा 3 (Section 3) का विवरण
परिचय
हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 (Hindu Marriage Act, 1955) भारतीय हिंदू विवाह से संबंधित महत्वपूर्ण कानून है, जो विवाह की शर्तों, प्रक्रिया, वैधता और विवाह के विघटन से संबंधित प्रावधानों को परिभाषित करता है। इस अधिनियम की धारा 3 (Section 3) “परिभाषाएँ” (Definitions) से संबंधित है। यह धारा विभिन्न महत्वपूर्ण शब्दों की परिभाषा देती है, जो इस अधिनियम में उपयोग किए गए हैं।
धारा 3: परिभाषाएँ (Definitions)
धारा 3 में विभिन्न कानूनी शब्दों की परिभाषा दी गई है, जिससे हिंदू विवाह अधिनियम को समझना आसान हो जाता है।
1. “हिंदू” की परिभाषा
इस अधिनियम में “हिंदू” शब्द का व्यापक अर्थ है, जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं:
- हिंदू, जैन, बौद्ध, और सिख धर्म के अनुयायी।
- वे व्यक्ति जो हिंदू धर्म को मानते हैं लेकिन किसी अन्य धर्म (मुस्लिम, ईसाई, पारसी या यहूदी) को नहीं अपनाते।
- जिनका धर्म अज्ञात है लेकिन वे हिंदू संस्कृति और परंपराओं के अनुसार रहते हैं।
2. “संपत्ति पर अधिकार” (Sapinda Relationship) की परिभाषा
- सपिंड संबंध (Sapinda Relationship): यदि दो व्यक्ति एक ही पूर्वज (common ancestor) से तीन पीढ़ी (पिता की ओर) या पांच पीढ़ी (माता की ओर) तक संबंधित हैं, तो वे सपिंड संबंधी माने जाएंगे।
- यह विवाह में निषेध की एक महत्वपूर्ण शर्त होती है।
3. “डिग्री ऑफ प्रोहिबिटेड रिलेशनशिप” (Degrees of Prohibited Relationship)
- यदि दो व्यक्ति एक-दूसरे के रिश्ते में इस तरह से आते हैं कि वे विवाह नहीं कर सकते, तो उन्हें “डिग्री ऑफ प्रोहिबिटेड रिलेशनशिप” में माना जाता है।
- उदाहरण के लिए, पिता-पुत्री, मां-बेटा, भाई-बहन आदि।
4. “पूर्ण रक्त, आधा रक्त और सौतेले रिश्ते”
- पूर्ण रक्त (Full Blood): यदि दो व्यक्ति एक ही माता-पिता से जन्मे हैं, तो वे पूर्ण रक्त से संबंधित हैं।
- आधा रक्त (Half Blood): यदि दो व्यक्ति केवल एक समान माता या पिता के माध्यम से जुड़े हैं, तो वे आधा रक्त से संबंधित हैं।
- सौतेला संबंध (Uterine Blood): यदि दो व्यक्ति एक ही माता से हैं लेकिन पिता अलग-अलग हैं, तो उन्हें सौतेले भाई-बहन कहा जाएगा।
धारा 3 का महत्व
- यह अधिनियम की मूलभूत परिभाषाएँ देता है, जिससे विवाह से संबंधित अन्य धाराओं को समझना आसान हो जाता है।
- विवाह में निषेध संबंधों को परिभाषित करता है, जिससे अनैतिक या अवैध विवाह रोके जा सकें।
- हिंदू विवाह की परिभाषा को स्पष्ट करता है, जिससे यह निर्धारित किया जा सके कि कौन इस अधिनियम के अंतर्गत आता है।
निष्कर्ष
हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 3 इस अधिनियम की आधारशिला है क्योंकि यह विभिन्न कानूनी शब्दों को स्पष्ट करती है। यह हिंदू विवाह की संपूर्ण प्रक्रिया को समझने में मदद करता है और यह सुनिश्चित करता है कि विवाह से जुड़े नियमों का सही पालन हो।
(नोट: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से है। कानूनी सलाह के लिए किसी विधि विशेषज्ञ से परामर्श करें।)
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