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हिन्दू विवाह अधिनियम धारा 2 – अधिनियम का लागू होना

हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 – धारा 2 (Section 2) का विवरण

परिचय

हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 भारत में हिंदू विवाह से संबंधित नियम-कानून निर्धारित करता है। इसकी धारा 2 यह स्पष्ट करती है कि यह अधिनियम किन लोगों पर लागू होगा और किन पर नहीं।

धारा 2 – इस अधिनियम के अधीन व्यक्ति (Application of Act)

धारा 2(1) के अनुसार, यह अधिनियम निम्नलिखित व्यक्तियों पर लागू होता है:

1. हिंदू (Hindus)

  • जन्म से हिंदू होने वाले व्यक्ति।
  • वे लोग जो हिंदू धर्म को मानते हैं।
  • हिंदू धर्म के किसी भी रूप या संप्रदाय का पालन करने वाले व्यक्ति।

2. अन्य धर्मों के अनुयायी (Other Religions Included)

  • जैन (Jains)
  • बौद्ध (Buddhists)
  • सिख (Sikhs)
  • जो व्यक्ति हिंदू धर्म को मानते हैं, लेकिन किसी अन्य धर्म (इस्लाम, ईसाई, पारसी या यहूदी) के अनुयायी नहीं हैं।

3. हिंदू धर्म को अपनाने वाले (Converted Hindus)

  • यदि कोई व्यक्ति हिंदू धर्म को अपना लेता है, तो वह भी इस अधिनियम के अंतर्गत आएगा।
  • इसका मतलब है कि जो लोग पहले किसी अन्य धर्म को मानते थे लेकिन हिंदू धर्म अपना चुके हैं, वे भी इस कानून के तहत आएंगे।

किन पर लागू नहीं होता?

धारा 2(2) के अनुसार, यह अधिनियम लागू नहीं होता:

  1. मुस्लिम, ईसाई, पारसी और यहूदी धर्म के अनुयायियों पर।
  2. ऐसे व्यक्तियों पर, जिनका विवाह विशेष विवाह अधिनियम, 1954 (Special Marriage Act, 1954) के अंतर्गत पंजीकृत किया गया है।

विशेष स्थितियाँ (Exceptions under Section 2(3))

धारा 2(3) के अनुसार, यदि केंद्र सरकार द्वारा कोई विशेष अपवाद बनाया जाता है, तो यह अधिनियम कुछ विशिष्ट जनजातियों (Scheduled Tribes) पर लागू नहीं होगा।

संविधानिक परिप्रेक्ष्य

संविधान का अनुच्छेद 25 भारत के सभी नागरिकों को धर्म की स्वतंत्रता देता है। लेकिन, विवाह, उत्तराधिकार, गोद लेने आदि जैसे व्यक्तिगत मामलों को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न धर्मों के लिए अलग-अलग कानून बनाए गए हैं। हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 उन्हीं में से एक है, जो हिंदू विवाह को कानूनी रूप से नियंत्रित करता है।

निष्कर्ष

हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 2 यह निर्धारित करती है कि यह कानून किन लोगों पर लागू होगा और किन पर नहीं। यह मुख्य रूप से हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्म के अनुयायियों पर लागू होता है और मुसलमानों, ईसाइयों, पारसियों तथा यहूदियों पर लागू नहीं होता।


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