हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 – धारा 18: विवाह से जुड़े अपराधों के लिए दंड (Punishment for Violating Marriage Provisions)
परिचय:
धारा 18 हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 का एक महत्वपूर्ण प्रावधान है, जो इस अधिनियम के तहत विवाह से संबंधित नियमों का उल्लंघन करने वाले व्यक्तियों के लिए दंड का प्रावधान करता है।
यदि कोई व्यक्ति विवाह संबंधी शर्तों का पालन नहीं करता, तो उसे इस धारा के तहत जुर्माना (Fine) या कारावास (Imprisonment) की सजा हो सकती है।
धारा 18 के प्रमुख प्रावधान:
1. किन मामलों में दंड का प्रावधान है?
यदि कोई व्यक्ति निम्नलिखित विवाह शर्तों का उल्लंघन करता है, तो उसे दंडित किया जा सकता है:
(A) धारा 5 (iii) – विवाह के लिए न्यूनतम आयु का उल्लंघन
✅ यदि कोई लड़का 21 वर्ष से कम उम्र का या लड़की 18 वर्ष से कम उम्र की होने के बावजूद विवाह करता/करती है, तो यह अवैध नहीं होगा लेकिन दंडनीय अपराध होगा।
✅ दंड: 15 दिन तक की कैद या ₹1,000 तक का जुर्माना या दोनों।
उदाहरण: यदि कोई 17 वर्षीय लड़की और 20 वर्षीय लड़का विवाह करते हैं, तो यह विवाह कानूनन अमान्य नहीं होगा, लेकिन इसमें शामिल व्यक्तियों को धारा 18 के तहत सजा दी जा सकती है।
(B) धारा 5 (ii) – विवाह निषेध संबंधी नियमों का उल्लंघन
✅ यदि कोई व्यक्ति नैतिक रूप से निषिद्ध संबंध (Prohibited Degree of Relationship) में विवाह करता है, जबकि ऐसा विवाह हिंदू विवाह अधिनियम के तहत अवैध माना जाता है, तो उसे कारावास या जुर्माने की सजा दी जा सकती है।
✅ दंड: एक माह तक की कैद या ₹1,000 तक का जुर्माना या दोनों।
उदाहरण: यदि कोई व्यक्ति अपने चचेरे भाई/बहन से विवाह करता है और उनका गोत्र या संबंध हिंदू विवाह अधिनियम के तहत निषिद्ध है, तो यह विवाह अवैध होगा और इसमें शामिल व्यक्तियों को दंडित किया जा सकता है।
2. धारा 18 के तहत सजा देने का उद्देश्य
✅ बच्चों की सुरक्षा: 18 वर्ष से कम उम्र में विवाह को हतोत्साहित करना ताकि बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी जाए।
✅ समाज में अनुशासन बनाए रखना: विवाह से जुड़े प्रतिबंधों का पालन करवाना और गैरकानूनी विवाह को रोकना।
✅ सामाजिक बुराइयों को समाप्त करना: जबरन विवाह, बाल विवाह और निषिद्ध संबंधों में विवाह को रोकने के लिए सख्त कानून लागू करना।
3. निष्कर्ष:
धारा 18 हिंदू विवाह अधिनियम के तहत विवाह से जुड़े नियमों के उल्लंघन पर सजा का प्रावधान करती है।
बाल विवाह या निषिद्ध संबंधों में विवाह करने वालों को 15 दिन से 1 माह तक की कैद या ₹1,000 तक के जुर्माने की सजा हो सकती है।
इस प्रावधान का उद्देश्य सामाजिक कुरीतियों को रोकना और विवाह को एक कानूनी व नैतिक प्रक्रिया के तहत सुनिश्चित करना है।
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