हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 – धारा 1 (Section 1) का विवरण
परिचय
भारत में विवाह को सामाजिक और कानूनी रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। हिंदू विवाह अधिनियम, 1955, हिंदू धर्म के अनुयायियों के विवाह से संबंधित कानूनों को नियंत्रित करता है। इसकी धारा 1 इस अधिनियम के नाम, विस्तार और प्रभावी तिथि को निर्धारित करती है।
धारा 1 – संक्षिप्त शीर्षक, विस्तार और प्रारंभ
1. संक्षिप्त नाम (Short Title)
इस अधिनियम को “हिंदू विवाह अधिनियम, 1955” कहा जाता है।
2. विस्तार (Extent)
- यह अधिनियम भारत के पूरे क्षेत्र में लागू होता है।
- अनुच्छेद 370 हटाने से पहले यह जम्मू और कश्मीर में लागू नहीं था, लेकिन अब यह पूरे भारत में लागू है।
3. प्रारंभ (Commencement)
- यह अधिनियम 18 मई 1955 को लागू हुआ।
किस पर लागू होता है? (Applicability)
हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 निम्नलिखित धर्मों के अनुयायियों पर लागू होता है:
- हिंदू (Hindus) – जन्म से हिंदू माने जाने वाले व्यक्ति।
- जैन (Jains) – हिंदू विवाह अधिनियम, जैन अनुयायियों पर भी लागू होता है।
- बौद्ध (Buddhists) – भारतीय बौद्ध धर्म के अनुयायियों पर भी यह कानून प्रभावी है।
- सिख (Sikhs) – सिख धर्म के अनुयायी भी इस अधिनियम के अंतर्गत आते हैं।
- ऐसे व्यक्ति जो हिंदू धर्म को मानते हैं, लेकिन किसी अन्य धर्म (इस्लाम, ईसाई, पारसी या यहूदी) के अनुयायी नहीं हैं।
किन पर लागू नहीं होता?
यह अधिनियम उन व्यक्तियों पर लागू नहीं होता जो:
- मुस्लिम, ईसाई, पारसी या यहूदी धर्म के अनुयायी हैं।
- किसी अन्य विशेष विवाह अधिनियम (Special Marriage Act, 1954) के अंतर्गत आते हैं।
संविधानिक परिप्रेक्ष्य
भारत के संविधान में धर्म की स्वतंत्रता दी गई है, लेकिन व्यक्तिगत कानूनों को भी मान्यता दी गई है। हिंदू विवाह अधिनियम, 1955, इसी सिद्धांत पर आधारित है, जिससे हिंदू धर्म के अनुयायियों को कानूनी सुरक्षा मिलती है।
निष्कर्ष
हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 1 इस अधिनियम की मूलभूत जानकारी प्रदान करती है, जिसमें इसका नाम, विस्तार और प्रभावी तिथि शामिल है। यह अधिनियम हिंदू विवाह को कानूनी रूप से मान्यता देता है और इससे जुड़े अधिकार और कर्तव्यों को परिभाषित करता है।
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