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Christian Marriage Act, 1872 – धारा 6 (Grant of License to Ministers / पादरियों को लाइसेंस प्रदान करना)

परिचय

भारत में ईसाई विवाहों को कानूनी रूप से संपन्न करने के लिए Christian Marriage Act, 1872 में विशेष प्रावधान किए गए हैं। धारा 6 (Section 6: Grant of License to Ministers / पादरियों को लाइसेंस प्रदान करना) यह निर्दिष्ट करती है कि किन परिस्थितियों में चर्च के पादरियों (Ministers) को विवाह संपन्न कराने के लिए सरकार द्वारा लाइसेंस प्रदान किया जा सकता है। यह प्रावधान यह सुनिश्चित करता है कि विवाह केवल अधिकृत व्यक्तियों द्वारा ही संपन्न हों।


धारा 6: पादरियों को लाइसेंस प्रदान करना

(Section 6: Grant of License to Ministers / पादरियों को लाइसेंस प्रदान करना)

धारा 6 के अनुसार, सरकार चर्च के योग्य पादरियों को विवाह संपन्न कराने के लिए लाइसेंस प्रदान कर सकती है। इस धारा के अंतर्गत निम्नलिखित प्रावधान आते हैं:

  1. सरकार द्वारा लाइसेंस जारी करना
    • सरकार किसी भी योग्य चर्च पादरी (Minister) को विवाह संपन्न कराने के लिए लाइसेंस जारी कर सकती है।
    • यह लाइसेंस केवल उन्हीं चर्च पादरियों को दिया जाता है, जो सरकार द्वारा निर्धारित मानदंडों को पूरा करते हैं।
  2. योग्यता और शर्तें
    • लाइसेंस प्राप्त करने के लिए पादरी को ईसाई समुदाय में मान्यता प्राप्त होना चाहिए।
    • संबंधित चर्च या धार्मिक संस्था का पादरी होना आवश्यक है।
    • सरकार यह सुनिश्चित करती है कि आवेदक का आचरण और पृष्ठभूमि विवाह संपन्न कराने के लिए उपयुक्त हो।
  3. लाइसेंस का निरस्तीकरण
    • यदि कोई पादरी सरकार द्वारा निर्धारित नियमों का उल्लंघन करता है, तो उसका लाइसेंस रद्द किया जा सकता है।
    • सरकार किसी भी समय लाइसेंस को निलंबित या निरस्त करने का अधिकार रखती है।
  4. विशेष अनुमति वाले पादरी
    • जिन क्षेत्रों में पहले से अधिकृत विवाह रजिस्ट्रार उपलब्ध नहीं होते, वहाँ चर्च पादरियों को विवाह संपन्न कराने के लिए लाइसेंस प्रदान किया जाता है।
    • इससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि सभी ईसाई विवाह विधिवत संपन्न हो सकें।

धारा 6 का उद्देश्य

  • यह सुनिश्चित करना कि विवाह केवल योग्य और अधिकृत चर्च पादरियों द्वारा ही संपन्न किए जाएँ
  • विवाह प्रक्रिया को कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त करना और पारदर्शिता बनाए रखना
  • यह रोक लगाना कि कोई भी अनधिकृत व्यक्ति विवाह न करा सके, जिससे विवाह की वैधता सुरक्षित रह सके।

धारा 6 के प्रमुख बिंदु

  • पादरियों को लाइसेंस प्रदान करना: सरकार चर्च के योग्य पादरियों को विवाह संपन्न कराने के लिए लाइसेंस जारी कर सकती है।
  • सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त पादरी: केवल उन्हीं पादरियों को लाइसेंस दिया जाएगा जो सरकार द्वारा निर्धारित योग्यताओं को पूरा करते हैं।
  • लाइसेंस का निरस्तीकरण: यदि पादरी नियमों का उल्लंघन करता है, तो सरकार उसका लाइसेंस रद्द कर सकती है।
  • विशेष परिस्थितियों में लाइसेंस: यदि किसी क्षेत्र में विवाह रजिस्ट्रार उपलब्ध नहीं हैं, तो वहाँ के पादरियों को विशेष लाइसेंस प्रदान किया जा सकता है।

धारा 6 का महत्व

धारा 6 ईसाई विवाह प्रक्रिया को संगठित और कानूनी रूप से सुरक्षित बनाती है। यह सुनिश्चित करती है कि विवाह केवल योग्य और अधिकृत चर्च पादरियों द्वारा संपन्न हो, जिससे विवाह कानूनी रूप से मान्य हो और समाज में विवाह से जुड़े विवादों से बचा जा सके।


निष्कर्ष

Christian Marriage Act, 1872 की धारा 6 यह निर्धारित करती है कि सरकार किन चर्च पादरियों को विवाह संपन्न कराने के लिए लाइसेंस प्रदान कर सकती है। यह विवाह प्रक्रिया को कानूनी मान्यता और सुरक्षा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यदि आप ईसाई विवाह करने की योजना बना रहे हैं, तो यह जानना आवश्यक है कि विवाह केवल सरकार द्वारा लाइसेंस प्राप्त चर्च पादरी द्वारा ही संपन्न किया जाना चाहिए


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