विवरण:
• यदि कोई व्यक्ति भारत के बाहर कोई ऐसा कृत्य करता है, जो इस संहिता के तहत अपराध की श्रेणी में आता है, तो उसे इस संहिता के अनुसार दंडित किया जा सकता है, यदि भारतीय कानून में ऐसा प्रावधान हो।
• यह प्रावधान विशेष रूप से भारतीय नागरिकों और कुछ मामलों में विदेशी नागरिकों पर लागू हो सकता है।
व्याख्या:
1. भारत के बाहर भारतीय नागरिक द्वारा अपराध
• यदि कोई भारतीय नागरिक किसी अन्य देश में अपराध करता है, और वह अपराध भारतीय न्याय संहिता 2023 के तहत दंडनीय है, तो भारत में उस पर मुकदमा चलाया जा सकता है।
• उदाहरण: यदि कोई भारतीय विदेश में हत्या, धोखाधड़ी, या साइबर अपराध करता है, तो उसे भारत में वापस लाकर मुकदमा चलाया जा सकता है।
2. भारत के बाहर विदेशी नागरिक द्वारा भारतीय कानून का उल्लंघन
• यदि कोई विदेशी नागरिक भारत के खिलाफ किसी अपराध में शामिल होता है, जैसे आतंकवाद, साइबर अपराध, या आर्थिक धोखाधड़ी, तो भारत सरकार उसे प्रत्यर्पण संधियों (Extradition Treaties) के तहत भारत लाकर मुकदमा चला सकती है।
• उदाहरण: यदि कोई विदेशी नागरिक भारत में साइबर धोखाधड़ी करता है, लेकिन किसी अन्य देश में बैठकर यह अपराध करता है, तो भारत उसे अपने कानून के तहत दंडित कर सकता है।
3. समुद्री, हवाई और डिजिटल अपराधों पर संहिता का प्रभाव
• यदि कोई व्यक्ति भारतीय जहाज या विमान पर रहते हुए अपराध करता है, भले ही वह भारत के बाहर हो, तो यह भारतीय कानून के तहत दंडनीय होगा।
• साइबर अपराधों के मामलों में, यदि कोई व्यक्ति भारत के बाहर रहते हुए भारतीय नागरिकों या संस्थानों को नुकसान पहुँचाता है, तो उसे भी इस संहिता के तहत अभियोजित किया जा सकता है।
संक्षिप्त निष्कर्ष:
• धारा 3 यह सुनिश्चित करती है कि भारतीय नागरिकों द्वारा विदेश में किए गए अपराधों पर भी भारतीय कानून लागू हो सकता है।
• यह प्रावधान भारत की संप्रभुता और न्याय व्यवस्था को मजबूत करता है, ताकि अपराधी सिर्फ स्थान बदलकर बच न सकें।
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