भारतीय न्याय संहिता, 2023 – धारा 3: भारत के बाहर किए गए अपराधों पर न्यायिक अधिकार
व्याख्या:
भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की धारा 3 यह स्पष्ट करती है कि यदि कोई भारतीय नागरिक भारत के बाहर कोई अपराध करता है, और वह अपराध इस संहिता के तहत दंडनीय है, तो उस पर भारत में मुकदमा चलाया जा सकता है।
मुख्य बिंदु:
- भारत के बाहर किए गए अपराधों पर भी भारतीय कानून लागू
- अगर कोई भारतीय नागरिक विदेश में किसी अपराध में लिप्त पाया जाता है, तो उस पर भारतीय न्याय संहिता के तहत कार्यवाही हो सकती है।
- इसे “Extraterritorial Jurisdiction” कहा जाता है, यानी भारत की न्यायिक शक्ति सीमा से बाहर भी लागू हो सकती है।
- भारतीय नागरिकों पर विशेष प्रभाव
- यह धारा केवल भारतीय नागरिकों पर लागू होती है।
- यदि कोई विदेशी नागरिक भारत के बाहर अपराध करता है, तो इस संहिता के तहत उस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, जब तक कि वह अपराध भारत को प्रभावित न करे।
- न्यायिक प्रक्रिया
- अपराधी को भारत लाने की प्रक्रिया “प्रत्यार्पण संधि” (Extradition Treaty) के तहत की जा सकती है।
- भारतीय अदालतों में उसके खिलाफ मुकदमा चलाया जा सकता है, भले ही अपराध विदेश में हुआ हो।
उदाहरण:
✅ विदेश में घोटाला (Financial Fraud): अगर कोई भारतीय व्यक्ति विदेश में किसी अर्थिक घोटाले (financial fraud) में लिप्त पाया जाता है, जिससे भारतीय नागरिकों को नुकसान हुआ हो, तो भारत में उस पर मुकदमा चल सकता है।
✅ साइबर अपराध (Cyber Crime): अगर कोई भारतीय नागरिक किसी विदेशी सर्वर से भारत के खिलाफ साइबर अपराध करता है, तो उसे भारत में दोषी ठहराया जा सकता है।
निष्कर्ष:
धारा 3 यह सुनिश्चित करती है कि भारतीय नागरिक देश के बाहर भी कानून के दायरे से बाहर न जा सकें। यह अपराधियों को विदेश भागने और कानूनी कार्रवाई से बचने से रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रावधान है।
Leave a Reply