अपराधों की परिभाषा, दंड और प्रक्रिया से संबंधित विस्तृत प्रावधान प्रदान करती है।
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 1 (Section 1) का मूल पाठ:
“यह अधिनियम भारतीय न्याय संहिता, 2023 कहलाएगा और यह पूरे भारत में विस्तारित होगा।”
व्याख्या:
- नामकरण (Title):
- इस धारा के अनुसार, इस अधिनियम का आधिकारिक नाम “भारतीय न्याय संहिता, 2023” (Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023) है।
- इसे अंग्रेज़ी में “Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023” कहा जाता है।
- प्रवर्तन (Extent & Application):
- यह संहिता भारत के प्रत्येक भाग में लागू होगी, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह पूरे देश में समान रूप से प्रभावी है।
- यह जम्मू-कश्मीर और लद्दाख सहित भारत के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में लागू होगी।
महत्व और प्रभाव:
- भारत में आपराधिक कानून का मूलभूत आधार:
- यह धारा संहिता की कानूनी स्थिति और अधिकार क्षेत्र (jurisdiction) को स्पष्ट करती है।
- यह संहिता अपराधों और दंड से संबंधित सभी प्रावधानों को नियंत्रित करेगी।
- समय के साथ बदलाव:
- IPC 1860 को हटाकर एक नया और आधुनिक कानून लागू किया गया है, जिससे न्याय प्रक्रिया अधिक प्रभावी बनेगी।
- सार्वभौमिकता (Universality):
- धारा 1 यह सुनिश्चित करती है कि कोई भी व्यक्ति, चाहे वह किसी भी राज्य का निवासी हो, भारतीय न्याय संहिता के तहत जिम्मेदार होगा।
भारतीय दंड संहिता (IPC) और भारतीय न्याय संहिता (BNS) में अंतर:
विशेषताएँ | भारतीय दंड संहिता (IPC) 1860 | भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 |
---|---|---|
प्रारंभिक वर्ष | 1860 | 2023 |
कुल धाराएँ | 511 | 356 |
फोकस | पारंपरिक अपराध और दंड | आधुनिक अपराध, साइबर अपराध, आतंकवाद और नए प्रावधान |
उद्देश्य | ब्रिटिश शासन के दौरान तैयार किया गया | भारतीय न्याय प्रणाली को सरल और प्रभावी बनाना |
निष्कर्ष:
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 1 यह स्पष्ट करती है कि यह संहिता पूरे भारत में लागू होगी। यह IPC 1860 के स्थान पर एक आधुनिक और अधिक प्रभावी आपराधिक कानून के रूप में कार्य करेगी। इसके तहत अपराधों को अधिक स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है और न्याय प्रणाली को सरल एवं पारदर्शी बनाने का प्रयास किया गया है।
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