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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 48 (Article 48) – पशुपालन और कृषि की विधियों में सुधार (Organisation of Agriculture and Animal Husbandry)

संविधान की परिभाषा (Constitutional Definition):
अनुच्छेद 48 भारतीय संविधान के भाग IV (राज्य के नीति निर्देशक तत्व) का एक महत्वपूर्ण अनुच्छेद है, जो पशुपालन और कृषि की विधियों में सुधार करने का निर्देश देता है। यह अनुच्छेद यह सुनिश्चित करने का प्रयास करता है कि कृषि और पशुपालन क्षेत्र में समाज के हित में सुधार हो, जिससे किसानों और पशुपालकों को लाभ हो।


अनुच्छेद 48 की प्रमुख बातें (Key Provisions of Article 48):

  • अनुच्छेद 48 के तहत राज्य को यह निर्देश दिया गया है कि वह पशुपालन और कृषि के सुधार के लिए योजनाएँ बनाये।
  • यह अनुच्छेद यह सुनिश्चित करता है कि कृषि क्षेत्र में वैज्ञानिक विधियाँ लागू की जाएं, जिससे कृषि उत्पादन और भूमि की उत्पादकता बढ़ सके।
  • राज्य को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश है कि पशु रक्षा और पशुपालन की विधियाँ मानवीय और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से की जाएं।
  • इसके तहत राज्य को यह भी निर्देश दिया गया है कि कृषि उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए उपयुक्त प्रौद्योगिकी और संसाधन उपलब्ध कराए जाएं।
  • इसमें यह भी उल्लेख किया गया है कि राज्य को विकसित और समृद्ध कृषि नीति तैयार करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।

संशोधन (Amendments):

इस अनुच्छेद में कोई विशेष संशोधन नहीं किया गया है, लेकिन कृषि और पशुपालन के सुधार के लिए कई योजनाएँ और सरकारी पहलें बनाई गई हैं, जैसे राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, राष्ट्रीय पशु स्वास्थ्य योजना, और प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना। इन पहलें के माध्यम से राज्य कृषि और पशुपालन क्षेत्र में सुधार करने का प्रयास कर रहा है।


न्यायिक निर्णय (Judicial Decision):

  1. राज्य बनाम कुलदीप कुमार (State v. Kuldeep Kumar):
    • इस मामले में न्यायालय ने कृषि और पशुपालन में सुधार की दिशा में राज्य की जिम्मेदारी पर बल दिया और कहा कि राज्य को अनुच्छेद 48 के तहत कृषक समुदाय को सहयोग और संसाधन उपलब्ध कराना चाहिए।
  2. कृषि भूमि संरक्षण पर निर्णय (Judgment on Agricultural Land Preservation):
    • उच्चतम न्यायालय ने इस निर्णय में कहा कि राज्य को कृषि भूमि के संरक्षण के लिए कदम उठाने चाहिए ताकि कृषि उत्पादकता बनी रहे और किसानों को लाभ हो।

अनुच्छेद 48 का महत्व (Significance of Article 48):

  • कृषि और पशुपालन के सुधार में राज्य की सक्रिय भूमिका को यह अनुच्छेद सुनिश्चित करता है।
  • यह अनुच्छेद कृषि क्षेत्र में उत्पादकता बढ़ाने और संसाधनों के उचित उपयोग पर जोर देता है।
  • पशुपालन और पशु रक्षा के क्षेत्र में मानवीय दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के लिए राज्य को निर्देशित करता है।
  • कृषि और पशुपालन से संबंधित योजनाएँ और नीतियाँ राज्य के कृषि और ग्रामीण विकास में महत्वपूर्ण योगदान करती हैं।
  • यह सुनिश्चित करता है कि राज्य कृषकों और पशुपालकों के कल्याण के लिए समुचित उपाय करें।

निष्कर्ष (Conclusion):

  • अनुच्छेद 48 राज्य को कृषि और पशुपालन क्षेत्र में सुधार की दिशा में सक्रिय कदम उठाने के लिए प्रेरित करता है।
  • यह अनुच्छेद कृषक समुदाय के कल्याण और उन्नति को बढ़ावा देता है, साथ ही पशुपालन के वैज्ञानिक दृष्टिकोण को लागू करने के लिए राज्य को निर्देशित करता है।
  • इसके माध्यम से राज्य को यह सुनिश्चित करने का अवसर मिलता है कि कृषि और पशुपालन क्षेत्र में समाज के हित में सुधार किया जाए।