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भारतीय संविधान का अनुच्छेद 37 (Article 37) – नीति निर्देशक तत्वों की न्यायिक प्रवर्तनीयता (Non-Justiciability of Directive Principles of State Policy – DPSP)

अनुच्छेद 37 भारतीय संविधान के भाग IV (Directive Principles of State Policy – राज्य के नीति निर्देशक तत्व) का एक महत्वपूर्ण प्रावधान है। यह अनुच्छेद यह स्पष्ट करता है कि नीति निर्देशक तत्वों को लागू करना राज्य की नैतिक और संवैधानिक जिम्मेदारी है, लेकिन इन्हें न्यायालय में लागू करने योग्य (Justiciable) नहीं माना जाता।


अनुच्छेद 37 की प्रमुख बातें (Key Provisions of Article 37)

• नीति निर्देशक तत्वों (DPSP) को संविधान में जो स्थान दिया गया है, उसे यह अनुच्छेद स्पष्ट करता है।
• अनुच्छेद 37 के अनुसार, नीति निर्देशक तत्वों का लागू होना “राज्य” (State) के लिए आवश्यक है, लेकिन न्यायालय में इनके प्रवर्तन की मांग नहीं की जा सकती
• नीति निर्देशक तत्वों का उद्देश्य राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक न्याय को बढ़ावा देना है ताकि एक कल्याणकारी राज्य (Welfare State) का निर्माण किया जा सके।
• यह अनुच्छेद नीति निर्देशक तत्वों को लागू करने के लिए सरकार को मार्गदर्शन देता है, लेकिन इनके उल्लंघन पर कोई कानूनी कार्यवाही संभव नहीं है


अनुच्छेद 37 और अनुच्छेद 32 में अंतर (Difference Between Article 37 and Article 32)

अंतर का आधार (Basis of Difference)अनुच्छेद 32 (Article 32)अनुच्छेद 37 (Article 37)
उद्देश्य (Objective)मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए न्यायिक समाधान प्रदान करता हैनीति निर्देशक तत्वों की न्यायिक प्रवर्तनीयता को अस्वीकार करता है
लागू होने वाला भाग (Applicable Part)भाग III (Fundamental Rights – मौलिक अधिकार)भाग IV (DPSP – नीति निर्देशक तत्व)
न्यायालय में प्रवर्तन (Judicial Enforceability)नागरिक अपने मौलिक अधिकारों के उल्लंघन पर न्यायालय जा सकते हैंनीति निर्देशक तत्व कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं होते और न्यायालय में प्रवर्तनीय नहीं हैं

अनुच्छेद 37 का महत्व (Significance of Article 37)

• यह अनुच्छेद नीति निर्देशक तत्वों के महत्व को स्वीकार करता है और राज्य को इन्हें लागू करने के लिए मार्गदर्शन देता है।
• यह सरकार को यह याद दिलाता है कि भले ही नीति निर्देशक तत्व न्यायालय में प्रवर्तनीय न हों, फिर भी राजनीतिक नैतिकता और संवैधानिक आदर्शों के तहत इनका पालन आवश्यक है
• यह अनुच्छेद सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए प्रेरित करता है कि वह सामाजिक और आर्थिक न्याय के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में कार्य करे।


निष्कर्ष (Conclusion)

अनुच्छेद 37 नीति निर्देशक तत्वों (DPSP) को संवैधानिक रूप से महत्वपूर्ण बनाता है, लेकिन उन्हें न्यायालय में प्रवर्तनीय (Justiciable) नहीं मानता।
यह अनुच्छेद यह सुनिश्चित करता है कि सरकार नीति निर्देशक तत्वों का सम्मान करे और उन्हें लागू करने का प्रयास करे।
हालांकि नागरिक नीति निर्देशक तत्वों के कार्यान्वयन के लिए न्यायालय का सहारा नहीं ले सकते, लेकिन सरकार को इनका पालन करने की नैतिक और संवैधानिक जिम्मेदारी दी गई है।


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