अनुच्छेद 23: मानव तस्करी और जबरन श्रम पर प्रतिबंध
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 23 (Article 23) मानव तस्करी, जबरन श्रम (Bonded Labour), और अन्य अमानवीय प्रथाओं पर प्रतिबंध लगाता है। यह किसी भी व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरुद्ध श्रम करने के लिए मजबूर करने से रोकता है, चाहे वह सरकार द्वारा हो या किसी अन्य व्यक्ति या संस्था द्वारा।
1. अनुच्छेद 23 का प्रावधान
अनुच्छेद 23(1) कहता है:
“मानव तस्करी, बलात्श्रम और अन्य समान रूप से अमानवीय प्रथाओं का निषेध किया जाता है और इस प्रकार के किसी भी उल्लंघन को कानून द्वारा दंडनीय बनाया जाएगा।”
इसका अर्थ यह है कि:
- किसी भी व्यक्ति को जबरदस्ती या धोखे से श्रम करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।
- मानव तस्करी (Human Trafficking) पर सख्त रोक लगाई गई है।
- बेगार (Begar) या बिना वेतन के जबरन श्रम कराना अवैध है।
अनुच्छेद 23(2) यह स्पष्ट करता है कि राज्य सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए अनिवार्य सेवा लागू कर सकता है, बशर्ते कि उसमें धर्म, जाति या वर्ग के आधार पर भेदभाव न हो।
2. अनुच्छेद 23 के तहत प्रतिबंधित गतिविधियां
(1) मानव तस्करी (Human Trafficking)
- महिलाओं और बच्चों की तस्करी करके उन्हें वेश्यावृत्ति, अवैध व्यापार, जबरन मजदूरी या अन्य अमानवीय कार्यों में धकेलना पूर्णतः निषिद्ध है।
- यह “भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 370 और 370A” के तहत अपराध है।
(2) जबरन श्रम (Forced Labour)
- जब किसी व्यक्ति से उसकी इच्छा के विरुद्ध बलपूर्वक श्रम कराया जाता है, तो यह अनुच्छेद 23 का उल्लंघन होगा।
- इसमें बंधुआ मजदूरी (Bonded Labour), बाल श्रम (Child Labour), और बेगार (Begar) शामिल हैं।
(3) बेगार (Begar) – बिना वेतन के श्रम
- जब किसी व्यक्ति को मुफ्त में, बिना किसी वेतन के श्रम करने के लिए मजबूर किया जाता है, तो इसे “बेगार” कहा जाता है, जो अवैध है।
- पुराने समय में राजा या जमींदार गरीब किसानों से जबरन श्रम करवाते थे, जो अब कानूनन प्रतिबंधित है।
(4) जातिगत मजबूरी के तहत श्रम (Caste-Based Forced Labour)
- यदि किसी व्यक्ति को उसकी जाति, धर्म या समाजिक स्थिति के कारण किसी विशेष प्रकार के कार्य करने के लिए मजबूर किया जाता है, तो यह अनुच्छेद 23 का उल्लंघन होगा।
3. अनुच्छेद 23 के अपवाद
हालांकि अनुच्छेद 23 जबरन श्रम पर प्रतिबंध लगाता है, लेकिन इसमें एक अपवाद भी दिया गया है:
राज्य द्वारा अनिवार्य सेवाएं (Compulsory Services for Public Purpose)
- सरकार राष्ट्रीय आपातकाल, सैन्य भर्ती, सामाजिक कार्य, जेल श्रम, या अन्य सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए अनिवार्य सेवा लागू कर सकती है।
- लेकिन इसमें किसी भी प्रकार का जातिगत या वर्गगत भेदभाव नहीं होना चाहिए।
उदाहरण:
- सैन्य सेवा (Military Service) के लिए अनिवार्य भर्ती।
- राष्ट्रीय आपदा या महामारी के दौरान अनिवार्य सेवाएं (जैसे डॉक्टरों और सफाई कर्मचारियों से सेवा लेना)।
- जेल में बंद कैदियों से श्रम करवाना (Prison Labour), लेकिन इसके लिए उन्हें कुछ भुगतान किया जाता है।
4. अनुच्छेद 23 से जुड़े प्रमुख कानून
(1) बंधुआ मजदूरी (निषेध) अधिनियम, 1976
- इस कानून के तहत बंधुआ मजदूरी पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दी गई है।
- यदि कोई व्यक्ति कर्ज के बदले में मजदूरी करने के लिए मजबूर किया जाता है, तो वह गैर-कानूनी होगा।
(2) बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 और 2016
- 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से किसी भी प्रकार का श्रम करवाना अवैध है।
- खतरनाक उद्योगों (Dangerous Industries) में 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को काम पर रखना प्रतिबंधित है।
(3) अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम, 1956 (Immoral Traffic Prevention Act, 1956 – ITPA)
- यह कानून मानव तस्करी और वेश्यावृत्ति रोकने के लिए बनाया गया है।
- इसमें तस्करों और दलालों को कड़ी सजा का प्रावधान है।
5. अनुच्छेद 23 से जुड़े महत्वपूर्ण न्यायिक फैसले
(1) पी. सुधीर बनाम भारत सरकार (1983)
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति गरीबी के कारण न्यूनतम वेतन से कम पर काम करने को मजबूर है, तो यह अनुच्छेद 23 का उल्लंघन होगा।
(2) देहा मुक्ति मोर्चा बनाम भारत सरकार (1984)
- सुप्रीम कोर्ट ने बंधुआ मजदूरी प्रथा को असंवैधानिक घोषित किया और सरकार को इसे खत्म करने का आदेश दिया।
(3) पुडुचेरी केस (2010)
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि “राष्ट्रीय आपदा के समय अनिवार्य सेवाएं लागू करना अनुच्छेद 23 का उल्लंघन नहीं होगा”।
6. अनुच्छेद 23 का महत्व
- यह समाज के कमजोर वर्गों को जबरन श्रम से बचाता है।
- मानव तस्करी और अवैध व्यापार को रोकता है।
- श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करता है।
- सामाजिक समानता और गरिमा बनाए रखने में मदद करता है।
7. अनुच्छेद 23 से जुड़ी चुनौतियां और आलोचना
- भारत में अभी भी अवैध मानव तस्करी जारी है।
- कई गरीब क्षेत्रों में बंधुआ मजदूरी और बाल श्रम प्रचलित है।
- कई बार सरकार सार्वजनिक उद्देश्य के नाम पर लोगों से जबरन श्रम करवा सकती है।
8. निष्कर्ष
अनुच्छेद 23 सामाजिक न्याय और मानव अधिकारों की रक्षा का एक महत्वपूर्ण प्रावधान है। यह मानव तस्करी, जबरन मजदूरी और अमानवीय प्रथाओं पर रोक लगाकर नागरिकों को गरिमापूर्ण जीवन जीने का अधिकार देता है। हालांकि, इसका प्रभावी क्रियान्वयन अभी भी एक चुनौती बना हुआ है।
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