परिचय:
भारतीय न्याय संहिता, 2023 के तहत धारा 8 यह स्पष्ट करती है कि “व्यक्ति” (Person), “कंपनी” (Company) और “संगठन” (Organization) किसे कहा जाएगा। यह परिभाषा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि कानूनी उत्तरदायित्व केवल व्यक्तियों तक सीमित नहीं होता, बल्कि कंपनियों, संगठनों और अन्य कानूनी संस्थाओं पर भी लागू हो सकता है।
धारा 8 की व्याख्या:
1. “व्यक्ति” की परिभाषा (Definition of Person)
• इस संहिता के तहत “व्यक्ति” का अर्थ केवल किसी एकल व्यक्ति (Individual) से नहीं है, बल्कि इसमें कंपनियां, संगठित निकाय (Bodies Corporate), संघ (Associations) और अन्य कानूनी संस्थाएं भी शामिल होती हैं।
• व्यक्ति की परिभाषा में निम्नलिखित शामिल होते हैं:
- स्वतंत्र व्यक्ति – कोई भी नागरिक या निवासी।
- सरकारी अधिकारी – जो सरकार के लिए कार्य करता है।
- न्यायिक व्यक्ति (Juristic Person) – जिसमें कंपनियां, फर्म और अन्य कानूनी संस्थाएं आती हैं।
- प्राकृतिक व्यक्ति (Natural Person) – सामान्य मानव जो किसी अपराध के लिए उत्तरदायी हो सकता है।
2. “कंपनी” की परिभाषा (Definition of Company)
• भारतीय न्याय संहिता, 2023 के अनुसार, “कंपनी” का अर्थ एक ऐसी इकाई (Entity) से है, जो भारत में कंपनी अधिनियम, 2013 या किसी अन्य कानून के तहत पंजीकृत है।
• इसमें निम्नलिखित शामिल होते हैं:
- निजी कंपनियां (Private Companies)
- सार्वजनिक कंपनियां (Public Companies)
- सरकारी उपक्रम (PSUs – Public Sector Undertakings)
- विदेशी कंपनियां (Foreign Companies) जो भारत में कार्यरत हैं
- सीमित दायित्व भागीदारी कंपनियां (LLPs – Limited Liability Partnerships)
3. “संगठन” की परिभाषा (Definition of Organization)
• संगठन (Organization) का अर्थ एक समूह या संस्था से है, जो किसी विशेष उद्देश्य से कार्य कर रही हो।
• इसमें निम्नलिखित शामिल होते हैं:
- गैर-सरकारी संगठन (NGOs – Non-Governmental Organizations)
- ट्रस्ट और सोसायटी (Trusts & Societies)
- धार्मिक और सामाजिक समूह (Religious & Social Groups)
- राजनीतिक दल (Political Parties)
- सहकारी समितियां (Cooperative Societies)
- अन्य संगठित निकाय (Bodies Corporate & Associations)
4. धारा 8 का कानूनी प्रभाव
• यदि कोई अपराध व्यक्ति, कंपनी या संगठन द्वारा किया जाता है, तो उनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है।
• उदाहरण:
- व्यक्ति द्वारा किया गया अपराध: यदि कोई व्यक्ति धोखाधड़ी करता है, तो वह व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी होगा।
- कंपनी द्वारा किया गया अपराध: यदि कोई कंपनी वित्तीय घोटाले में शामिल होती है, तो कंपनी के निदेशक, सीईओ और जिम्मेदार अधिकारी दंड के पात्र होंगे।
- संगठन द्वारा किया गया अपराध: यदि कोई राजनीतिक दल या एनजीओ किसी गैरकानूनी गतिविधि में शामिल होता है, तो संगठन के प्रमुख पदाधिकारी दंड के अधीन होंगे।
5. संगठनों और कंपनियों की आपराधिक उत्तरदायित्व (Criminal Liability of Organizations & Companies)
• भारतीय न्याय संहिता, 2023 यह स्पष्ट करती है कि अगर कोई कंपनी या संगठन किसी अपराध में शामिल होता है, तो उसके खिलाफ भी वैसी ही कानूनी कार्यवाही होगी, जैसी किसी व्यक्ति के खिलाफ होती है।
• अपराध के लिए निम्नलिखित दंड हो सकते हैं:
- जुर्माना (Fine) – कंपनी की संपत्ति से कटौती हो सकती है।
- निदेशकों / पदाधिकारियों की गिरफ्तारी (Arrest of Directors/Officials)
- कंपनी का पंजीकरण रद्द किया जा सकता है (Deregistration of Company)
- संगठन की गतिविधियों पर प्रतिबंध (Ban on Organization’s Activities)
निष्कर्ष:
• धारा 8 यह सुनिश्चित करती है कि कानून केवल व्यक्तियों तक सीमित नहीं है, बल्कि कंपनियों और संगठनों को भी अपराधों के लिए उत्तरदायी बनाया जा सकता है।
• किसी अपराध के लिए यदि कोई कंपनी या संगठन दोषी पाया जाता है, तो उसके जिम्मेदार पदाधिकारियों को दंडित किया जा सकता है।
• यह प्रावधान भारत में कॉर्पोरेट अपराधों, धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार और अन्य गैर-कानूनी गतिविधियों पर नियंत्रण रखने के लिए महत्वपूर्ण है।
संक्षेप में:
✔ व्यक्ति का अर्थ केवल मनुष्य नहीं, बल्कि कंपनियां और संगठन भी होते हैं।
✔ कंपनी अधिनियम 2013 के तहत पंजीकृत कोई भी कंपनी इस संहिता के अंतर्गत आती है।
✔ एनजीओ, राजनीतिक दल और अन्य संगठन भी कानून के दायरे में आते हैं।
✔ कंपनी या संगठन द्वारा किए गए अपराध के लिए उनके निदेशकों और प्रमुख अधिकारियों को उत्तरदायी ठहराया जा सकता है।
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