Legal And Law Advisory

By Learnwithms.in

“आपका कानूनी ज्ञान साथी!”

Home » भारतीय कानून » परिवार से जुड़े कानून » ईसाई विवाह अधिनियम, 1872 » Christian Marriage Act, 1872 – धारा 7 (Marriage Registrar in Indian States / भारतीय राज्यों में विवाह रजिस्ट्रार)

Christian Marriage Act, 1872 – धारा 7 (Marriage Registrar in Indian States / भारतीय राज्यों में विवाह रजिस्ट्रार)

परिचय

ईसाई विवाहों को कानूनी मान्यता प्रदान करने और विवाह प्रक्रिया को नियमित करने के लिए Christian Marriage Act, 1872 में विवाह रजिस्ट्रार की नियुक्ति का प्रावधान किया गया है। धारा 7 (Section 7: Marriage Registrar in Indian States / भारतीय राज्यों में विवाह रजिस्ट्रार) यह स्पष्ट करती है कि भारत में ईसाई विवाहों को संपन्न कराने और पंजीकृत करने के लिए विवाह रजिस्ट्रार की क्या भूमिका होगी।


धारा 7: भारतीय राज्यों में विवाह रजिस्ट्रार

(Section 7: Marriage Registrar in Indian States / भारतीय राज्यों में विवाह रजिस्ट्रार)

धारा 7 के अंतर्गत निम्नलिखित प्रावधान शामिल हैं:

  1. विवाह रजिस्ट्रार की नियुक्ति (Appointment of Marriage Registrars)
    • प्रत्येक भारतीय राज्य में सरकार विवाहों की देखरेख और पंजीकरण के लिए विवाह रजिस्ट्रार (Marriage Registrar) नियुक्त कर सकती है।
    • ये अधिकारी विशेष रूप से ईसाई विवाहों को पंजीकृत करने और उनकी वैधता सुनिश्चित करने के लिए अधिकृत होते हैं।
  2. नियुक्ति का क्षेत्राधिकार (Jurisdiction of Marriage Registrars)
    • प्रत्येक विवाह रजिस्ट्रार को एक विशिष्ट क्षेत्र दिया जाएगा, जहाँ वह विवाहों का पंजीकरण करेगा।
    • यह क्षेत्र स्थानीय प्रशासन या सरकार द्वारा निर्दिष्ट किया जाएगा।
  3. सरकारी नियंत्रण और पर्यवेक्षण (Government Supervision and Control)
    • विवाह रजिस्ट्रार सरकार के नियंत्रण में कार्य करेगा और कानूनी प्रावधानों के अनुसार विवाहों का पंजीकरण करेगा।
    • यदि किसी विवाह में कोई कानूनी अड़चन आती है, तो विवाह रजिस्ट्रार उस पर निर्णय लेने के लिए अधिकृत होगा।
  4. अतिरिक्त विवाह रजिस्ट्रार (Additional Marriage Registrars)
    • यदि किसी क्षेत्र में विवाह पंजीकरण का कार्य अधिक होता है, तो सरकार वहाँ अतिरिक्त विवाह रजिस्ट्रार नियुक्त कर सकती है।
    • इससे विवाहों की प्रक्रिया सुचारू रूप से संचालित होती है और किसी भी प्रकार की देरी से बचा जा सकता है।

धारा 7 का उद्देश्य

  • यह सुनिश्चित करना कि हर राज्य में विवाह रजिस्ट्रार नियुक्त हों ताकि ईसाई विवाह कानूनी रूप से पंजीकृत किए जा सकें।
  • विवाह प्रक्रिया को सरकारी निगरानी में रखना और किसी भी अनियमितता को रोकना
  • विवाहों का पंजीकरण और प्रमाणन सुनिश्चित करना, जिससे वे कानूनी रूप से मान्य हों।

धारा 7 के प्रमुख बिंदु

  • राज्य सरकार विवाह रजिस्ट्रार नियुक्त कर सकती है जो ईसाई विवाहों का पंजीकरण करेगा।
  • प्रत्येक विवाह रजिस्ट्रार को एक विशिष्ट क्षेत्र सौंपा जाता है, जहाँ वह अपनी सेवाएँ प्रदान करेगा।
  • विवाह रजिस्ट्रार सरकारी नियंत्रण में कार्य करता है और कानूनी प्रावधानों के अनुसार विवाहों का रिकॉर्ड रखता है।
  • यदि आवश्यक हो, तो अतिरिक्त विवाह रजिस्ट्रार नियुक्त किए जा सकते हैं ताकि विवाह पंजीकरण प्रक्रिया में कोई देरी न हो।

धारा 7 का महत्व

धारा 7 यह सुनिश्चित करती है कि हर भारतीय राज्य में विवाह रजिस्ट्रार नियुक्त हों, जिससे ईसाई विवाह कानूनी रूप से सुरक्षित और पंजीकृत रह सकें। यह विवाह प्रक्रिया को संगठित और पारदर्शी बनाने में मदद करता है।


निष्कर्ष

Christian Marriage Act, 1872 की धारा 7 यह निर्धारित करती है कि प्रत्येक भारतीय राज्य में सरकार विवाह रजिस्ट्रार नियुक्त कर सकती है। यह विवाहों के कानूनी पंजीकरण को सुनिश्चित करने और विवाह से संबंधित प्रशासनिक कार्यों को व्यवस्थित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यदि आप ईसाई विवाह करने की योजना बना रहे हैं, तो यह जानना आवश्यक है कि आपके विवाह का पंजीकरण एक अधिकृत विवाह रजिस्ट्रार द्वारा किया जाना चाहिए


Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *