Prohibition of Child Marriage Act, 2006 की धारा 8 राज्य सरकार को यह अधिकार देती है कि वह बाल विवाह की रोकथाम और अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए आवश्यक नियम बना सके।
धारा 8 के प्रमुख प्रावधान:
- राज्य सरकार के नियम बनाने की शक्ति:
- राज्य सरकार इस अधिनियम को लागू करने के लिए नियम और प्रक्रियाएँ निर्धारित कर सकती है।
- यह नियम अधिनियम के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश प्रदान करेंगे।
- किन विषयों पर नियम बनाए जा सकते हैं?
- बाल विवाह निषेध अधिकारियों (CMPO) की शक्तियाँ और कर्तव्य।
- शिकायतों की जांच और कार्रवाई की प्रक्रिया।
- बाल विवाह को रोकने के लिए जन जागरूकता अभियान।
- बाल विवाह की सूचना देने वालों (Informers) को सुरक्षा और प्रोत्साहन देने के उपाय।
- बाल विवाह से प्रभावित व्यक्ति के पुनर्वास और संरक्षण के उपाय।
- नियमों का प्रकाशन:
- जब राज्य सरकार कोई नया नियम बनाएगी, तो उसे राज्य के आधिकारिक राजपत्र (Official Gazette) में प्रकाशित किया जाएगा।
- इससे जनता को उन नियमों की जानकारी होगी और वे प्रभावी रूप से लागू किए जा सकेंगे।
महत्व:
- यह धारा राज्य सरकार को बाल विवाह पर नियंत्रण के लिए आवश्यक नियम बनाने का कानूनी अधिकार देती है।
- इससे राज्य के अलग-अलग क्षेत्रों में स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार नियम बनाए जा सकते हैं।
- यह अधिनियम को और अधिक प्रभावी बनाता है और इसके सुचारू कार्यान्वयन में मदद करता है।
निष्कर्ष:
धारा 8 राज्य सरकार को यह अधिकार देती है कि वह बाल विवाह रोकने और इस अधिनियम को लागू करने के लिए आवश्यक नियम बना सके। इससे बाल विवाह निषेध अधिकारियों की कार्यप्रणाली, शिकायत निवारण, पुनर्वास योजनाएँ और जन जागरूकता अभियानों को प्रभावी रूप से लागू करने में सहायता मिलती है।
अगर आपको इस धारा की और विस्तृत जानकारी चाहिए, तो बताइए!
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