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Prohibition of Child Marriage Act, 2006 की धारा 5: विवाह की शून्यता (Void Marriage)

Prohibition of Child Marriage Act, 2006 की धारा 5 यह प्रावधान करती है कि कुछ विशेष परिस्थितियों में बाल विवाह को पूर्ण रूप से शून्य (Void) घोषित किया जा सकता है।

धारा 5 के प्रमुख प्रावधान:

  1. विशेष परिस्थितियों में विवाह की शून्यता:
    • यदि बाल विवाह धारा 12 में उल्लिखित परिस्थितियों के अंतर्गत आता है, तो वह स्वतः शून्य (Automatically Void) होगा।
    • यानी, ऐसे मामलों में विवाह को रद्द करवाने के लिए किसी याचिका की आवश्यकता नहीं होती, यह कानूनी रूप से अमान्य माना जाएगा।
  2. किन परिस्थितियों में विवाह शून्य होगा?
    • यदि विवाह बलपूर्वक या धोखे से करवाया गया हो।
    • यदि विवाह किसी अपराध या तस्करी (Trafficking) के उद्देश्य से हुआ हो।
    • यदि विवाह के दौरान वर या वधू की सहमति नहीं ली गई हो।
  3. अदालत की भूमिका:
    • अदालत यह सुनिश्चित कर सकती है कि पीड़ित पक्ष को संरक्षण और पुनर्वास की सुविधा मिले।
    • यदि विवाह शून्य घोषित होता है, तो अदालत पीड़ित लड़की के भरण-पोषण और रहने की व्यवस्था करने का आदेश दे सकती है।

महत्व:

  • यह धारा उन मामलों में बाल विवाह को पूरी तरह से अवैध घोषित करती है जहां जबरदस्ती, धोखा या तस्करी के उद्देश्य से विवाह हुआ हो।
  • यह बाल तस्करी, यौन शोषण और जबरदस्ती किए गए विवाहों पर रोक लगाने के लिए एक प्रभावी कानूनी प्रावधान है।

निष्कर्ष:

धारा 5 यह सुनिश्चित करती है कि यदि कोई बाल विवाह जबरदस्ती, धोखे या तस्करी के इरादे से हुआ है, तो वह स्वतः अवैध होगा। इससे बच्चों के अधिकारों की रक्षा होती है और बाल तस्करी एवं जबरन विवाहों को रोका जा सकता है।

अगर आपको इस धारा की और विस्तृत जानकारी चाहिए, तो बताइए!


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