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भारतीय न्याय संहिता 2023 धारा 5: विशेष विधियों का प्रभाव (Effect of Special Laws)

विवरण:

• यह धारा स्पष्ट करती है कि यदि किसी विशेष कानून (Special Law) में कोई प्रावधान भारतीय न्याय संहिता, 2023 से भिन्न है, तो उस विशेष कानून के प्रावधान प्रभावी होंगे।
• यानी, जहां विशेष कानून लागू होता है, वहां इस संहिता की बजाय विशेष कानून को प्राथमिकता दी जाएगी।


व्याख्या:

1. विशेष कानून क्या हैं?

विशेष कानून वे कानून होते हैं, जो किसी विशेष विषय या अपराध को नियंत्रित करने के लिए बनाए जाते हैं।
• ये कानून सामान्य अपराधों पर लागू भारतीय न्याय संहिता से अलग होते हैं।
उदाहरण:
आयकर अधिनियम, 1961 – कर चोरी के मामलों में लागू होता है।
NDPS अधिनियम, 1985 – मादक पदार्थों की तस्करी और उनके उपयोग से जुड़े अपराधों के लिए।
POSCO अधिनियम, 2012 – बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों के लिए।
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 – दलितों और जनजातीय समुदायों के खिलाफ अपराधों के लिए।

2. भारतीय न्याय संहिता बनाम विशेष कानून

• यदि किसी विशेष कानून में कोई अलग दंड या प्रक्रिया निर्धारित है, तो उसी कानून के अनुसार कार्यवाही की जाएगी, न कि भारतीय न्याय संहिता के अनुसार।
उदाहरण:
• यदि किसी व्यक्ति ने आयकर चोरी की है, तो उसे भारतीय न्याय संहिता की धोखाधड़ी वाली धाराओं के बजाय आयकर अधिनियम, 1961 के तहत दंडित किया जाएगा।
• यदि कोई अपराध NDPS अधिनियम के तहत आता है, तो भारतीय न्याय संहिता की धाराओं के बजाय NDPS अधिनियम की सजा लागू होगी।

3. विशेष कानूनों की प्राथमिकता क्यों दी जाती है?

• विशेष कानून विशिष्ट अपराधों के लिए बनाए गए हैं, इसलिए वे अधिक सटीक और प्रभावी होते हैं।
• वे अपराध की प्रकृति, सजा और जांच प्रक्रिया को स्पष्ट रूप से परिभाषित करते हैं।
• यह सुनिश्चित करता है कि विशेष मामलों में सही कानून लागू किया जाए, जिससे न्याय प्रणाली अधिक प्रभावी बने।


संक्षिप्त निष्कर्ष:

यदि किसी अपराध के लिए कोई विशेष कानून पहले से मौजूद है, तो भारतीय न्याय संहिता लागू नहीं होगी।
यह धारा सुनिश्चित करती है कि विशिष्ट मामलों में सही कानून को प्राथमिकता मिले।
विशेष कानून भारतीय न्याय संहिता के समानांतर कार्य करते हैं और उनके अधीन आने वाले अपराधों पर विशेष प्रावधान लागू होते हैं।


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