भूमिका
भारत में तलाक के मामलों में घरेलू हिंसा और दहेज उत्पीड़न के आरोप आम हो गए हैं। कई बार ये आरोप सही होते हैं, लेकिन कई मामलों में पति और उसके परिवार को झूठे केस में फंसाया जाता है।
IPC 498A (दहेज उत्पीड़न), घरेलू हिंसा अधिनियम, और अन्य कानूनी प्रावधानों के तहत महिलाओं को कानूनी सुरक्षा प्रदान की गई है, लेकिन इनका दुरुपयोग भी हो सकता है। इस लेख में हम चर्चा करेंगे:
✔ 498A और घरेलू हिंसा अधिनियम क्या है?
✔ इन कानूनों का दुरुपयोग कैसे किया जाता है?
✔ झूठे आरोपों से बचने के लिए कानूनी उपाय।
1. दहेज उत्पीड़न कानून (IPC 498A) क्या है?
(A) IPC 498A की परिभाषा
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 498A के तहत, यदि पति या उसके परिवार द्वारा पत्नी को दहेज के लिए परेशान किया जाता है या शारीरिक-मानसिक यातना दी जाती है, तो यह गैर-जमानती (Non-Bailable) और संज्ञेय अपराध (Cognizable Offense) माना जाता है।
(B) 498A के तहत सजा
✔ पति और ससुराल वालों को 3 साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है।
✔ पुलिस बिना वारंट गिरफ्तारी कर सकती है।
(C) 498A का दुरुपयोग और सुप्रीम कोर्ट के फैसले
✔ झूठे मामलों की संख्या बढ़ने पर सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि बिना जांच गिरफ्तारी न की जाए।
✔ राजेश शर्मा बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (2017) केस में कोर्ट ने कहा कि हर शिकायत पर तुरंत गिरफ्तारी न हो, बल्कि जांच जरूरी हो।
2. घरेलू हिंसा अधिनियम (Domestic Violence Act, 2005) क्या है?
(A) इस कानून के तहत कौन-कौन सी हिंसा आती है?
✔ शारीरिक हिंसा – मारपीट, चोट पहुंचाना
✔ मानसिक हिंसा – गाली-गलौज, धमकी देना
✔ आर्थिक हिंसा – पत्नी की आर्थिक जरूरतों को पूरा न करना
✔ यौन हिंसा – जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाना
(B) घरेलू हिंसा केस में क्या कार्रवाई हो सकती है?
✔ पत्नी पति और ससुराल वालों के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकती है।
✔ कोर्ट पति को पत्नी के लिए मेंटेनेंस (गुजारा भत्ता) देने का आदेश दे सकता है।
✔ पत्नी को पति के घर में रहने का अधिकार दिया जा सकता है, भले ही घर पति के नाम हो।
3. झूठे आरोपों से बचाव के कानूनी उपाय
(A) अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail – CrPC 438)
✔ यदि पत्नी ने IPC 498A या घरेलू हिंसा केस दर्ज कराया है, तो तुरंत हाई कोर्ट या सेशंस कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन करें।
(B) झूठी FIR को रद्द कराने की याचिका (Quashing of False FIR – CrPC 482)
✔ अगर आरोप गलत हैं, तो हाई कोर्ट में याचिका दायर कर FIR को रद्द (Quash) करवाया जा सकता है।
(C) पत्नी के झूठे आरोप साबित होने पर सजा (Punishment for False Cases – IPC 211 & 182)
✔ झूठी FIR दर्ज कराने पर पत्नी के खिलाफ IPC 211 (झूठे केस दर्ज करना) और IPC 182 (पुलिस को झूठी जानकारी देना) के तहत मामला दर्ज करवाया जा सकता है।
(D) मानहानि केस (Defamation Case – IPC 499 & 500)
✔ यदि झूठे आरोपों से आपकी प्रतिष्ठा खराब हुई है, तो आप मानहानि का केस कर सकते हैं।
(E) पत्नी को घर से बेदखल कराने की याचिका
✔ यदि पत्नी घरेलू हिंसा कर रही है, तो सेशंस कोर्ट में याचिका दायर कर उसे घर से निकालने का आदेश लिया जा सकता है।
4. तलाक में घरेलू हिंसा और दहेज मामलों का प्रभाव
(A) मेंटेनेंस और गुजारा भत्ता पर असर
✔ यदि पत्नी झूठे आरोप साबित नहीं कर पाती, तो मेंटेनेंस नहीं मिलेगा।
✔ यदि पत्नी खुद काम कर रही है, तो भी मेंटेनेंस नहीं मिलेगा।
(B) बच्चे की कस्टडी (Child Custody)
✔ झूठे केस से पुरुष को बच्चे की कस्टडी मिलने में दिक्कत हो सकती है।
✔ यदि पत्नी मानसिक रूप से अस्थिर साबित हो, तो पिता को कस्टडी मिल सकती है।
5. सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण फैसले
- अमितभाई शाह बनाम राज्य (2018)
- FIR रद्द करने के लिए हाई कोर्ट के पास शक्ति है, यदि मामला झूठा लगे।
- धर्मेशभाई बनाम गुजरात राज्य (2020)
- झूठे 498A केस में अग्रिम जमानत दी जा सकती है।
- सुषील कुमार बनाम बिहार राज्य (2019)
- पत्नी के झूठे आरोप साबित होने पर IPC 211 के तहत कार्रवाई हो सकती है।
6. निष्कर्ष (Conclusion)
✔ तलाक के मामलों में IPC 498A और घरेलू हिंसा कानून का सही उपयोग भी होता है और कई बार इनका दुरुपयोग भी किया जाता है।
✔ झूठे आरोपों से बचने के लिए तुरंत कानूनी सलाह लें और सबूत इकट्ठा करें।
✔ 498A केस में गिरफ्तारी से बचने के लिए अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail) जरूरी है।
✔ यदि झूठे आरोप साबित होते हैं, तो पत्नी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
अगर आपके पास कोई सवाल है, तो हमें कमेंट में बताएं!
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