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अनुच्छेद 21A: शिक्षा का अधिकार (Right to Education)

अनुच्छेद 21A: शिक्षा का अधिकार (Right to Education)

भारतीय संविधान में अनुच्छेद 21A (Article 21A) प्रत्येक बच्चे को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्राप्त करने का मौलिक अधिकार प्रदान करता है। इसे 86वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2002 के तहत संविधान में जोड़ा गया था।


1. अनुच्छेद 21A का प्रावधान

अनुच्छेद 21A कहता है:
“राज्य 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करेगा, जिस प्रकार राज्य कानून द्वारा निर्धारित कर सकता है।”

इसका अर्थ यह है कि सरकार सभी बच्चों को प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए बाध्य है और कोई भी बच्चा इस अधिकार से वंचित नहीं रह सकता।


2. अनुच्छेद 21A की प्रमुख बातें

  • यह 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों पर लागू होता है।
  • यह शिक्षा निःशुल्क और अनिवार्य होगी।
  • यह सरकारी और गैर-सरकारी (निजी) स्कूलों पर लागू होता है।
  • इसका उद्देश्य सभी बच्चों को समान शैक्षिक अवसर देना है।
  • इसके तहत लागू कानून: “निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा अधिनियम, 2009 (RTE Act, 2009)”

3. शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 (Right to Education Act, 2009 – RTE Act)

RTE अधिनियम को अनुच्छेद 21A को प्रभावी बनाने के लिए पारित किया गया था। इस अधिनियम के प्रमुख प्रावधान निम्नलिखित हैं:

(1) निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा

  • 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को पूरी तरह से निःशुल्क शिक्षा दी जाएगी
  • सरकारी स्कूलों में कोई फीस नहीं लगेगी, और जरूरतमंद बच्चों को निजी स्कूलों में भी आरक्षित सीटों पर प्रवेश दिया जाएगा।

(2) 25% सीटें गरीब बच्चों के लिए आरक्षित (Private Schools Reservation)

  • निजी स्कूलों को अपनी कुल सीटों का 25% गरीब और वंचित वर्ग के बच्चों के लिए आरक्षित करना होगा
  • सरकार इन बच्चों की फीस का खर्च उठाएगी।

(3) शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित करना

  • स्कूलों को बुनियादी सुविधाएं जैसे शौचालय, स्वच्छ पेयजल, खेल का मैदान आदि उपलब्ध कराना होगा।
  • शिक्षकों की योग्यता और प्रशिक्षण अनिवार्य होगा।

(4) शारीरिक दंड और भेदभाव पर रोक

  • किसी भी बच्चे को स्कूल में शारीरिक दंड (Corporal Punishment) नहीं दिया जा सकता
  • जाति, धर्म, लिंग या किसी अन्य आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता।

(5) स्कूल छोड़ने वाले बच्चों के लिए विशेष व्यवस्था

  • जो बच्चे पहले से स्कूल नहीं गए या किसी कारणवश पढ़ाई छोड़ चुके हैं, उनके लिए विशेष प्रशिक्षण कक्षाएं चलाई जाएंगी।

(6) माता-पिता की जिम्मेदारी

  • माता-पिता को भी अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

4. अनुच्छेद 21A से संबंधित महत्वपूर्ण न्यायिक फैसले

(1) उन्नीकृष्णन बनाम आंध्र प्रदेश राज्य (1993)

  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शिक्षा जीवन के अधिकार (अनुच्छेद 21) का अभिन्न हिस्सा है, और सरकार की यह जिम्मेदारी है कि वह सभी को शिक्षा उपलब्ध कराए।
  • इस फैसले के बाद, सरकार ने 86वां संविधान संशोधन, 2002 लाकर शिक्षा को मौलिक अधिकार बना दिया।

(2) समाज कल्याण मंच बनाम भारत सरकार (2012)

  • सुप्रीम कोर्ट ने निजी स्कूलों में 25% आरक्षण को सही ठहराया और कहा कि इससे आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को शिक्षा का समान अवसर मिलेगा।

5. अनुच्छेद 21A का महत्व

  • शिक्षा सामाजिक समानता की ओर एक बड़ा कदम है
  • इससे गरीब और वंचित वर्ग के बच्चों को भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलता है।
  • यह भविष्य में बेरोजगारी, गरीबी और असमानता को कम करने में सहायक होगा
  • लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देता है, जिससे लैंगिक समानता स्थापित होती है।

6. निष्कर्ष

अनुच्छेद 21A केवल शिक्षा का अधिकार नहीं देता, बल्कि यह समाज में समानता और समावेशिता सुनिश्चित करता है। “निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा अधिनियम, 2009” के माध्यम से सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे। हालांकि, अभी भी इसकी क्रियान्वयन में कई चुनौतियां बनी हुई हैं, जिन्हें सुधारने की आवश्यकता है।


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