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हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 धारा 21 – सिविल प्रक्रिया संहिता का पालन (Application of Act 5 of 1908)

हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 – धारा 21: सिविल प्रक्रिया संहिता का पालन (Application of Act 5 of 1908)

परिचय:

धारा 21 हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के तहत यह प्रावधान करता है कि इस अधिनियम से संबंधित सभी मामलों का निपटारा भारतीय सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 (CPC) के प्रावधानों के अनुसार किया जाएगा, जब तक कि विशेष रूप से कुछ और न कहा गया हो।
इसका उद्देश्य विवाह से जुड़े मुकदमों की न्यायिक प्रक्रिया को व्यवस्थित और पारदर्शी बनाना है।


धारा 21 के प्रमुख प्रावधान:

1. सिविल प्रक्रिया संहिता (CPC) के नियमों का पालन (Application of Civil Procedure Code, 1908)

✅ हिंदू विवाह अधिनियम के तहत दायर किए गए सभी मुकदमे सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 (CPC) के अनुसार चलाए जाएंगे।
✅ यदि इस अधिनियम में किसी विशेष प्रक्रिया का उल्लेख नहीं है, तो अदालत CPC के नियमों का पालन करेगी।

उदाहरण: यदि कोई व्यक्ति तलाक, विवाह की शून्यता, या अन्य विवाह संबंधी विवाद के लिए याचिका दायर करता है, तो उस पर CPC की प्रक्रिया लागू होगी, जैसे कि समन जारी करना, साक्ष्य लेना, निर्णय देना, आदि।


2. किन मामलों में CPC लागू होगा?

तलाक (Divorce) के मुकदमे में
विवाह शून्यता (Nullity of Marriage) के मामले में
विवाह रद्द करने (Annulment) से जुड़े मामलों में
कानूनी पृथक्करण (Judicial Separation) से संबंधित मामलों में
अन्य विवाह संबंधी विवादों में

महत्वपूर्ण: यदि हिंदू विवाह अधिनियम में किसी विशेष प्रक्रिया का उल्लेख किया गया है, तो उसी का पालन किया जाएगा।


3. CPC का पालन क्यों आवश्यक है?

एक समान प्रक्रिया: सिविल मामलों के निपटारे के लिए CPC का पालन करना सभी न्यायालयों में एक समान प्रक्रिया सुनिश्चित करता है।
न्यायिक प्रक्रिया को स्पष्ट करना: यह सुनिश्चित करता है कि विवाह से जुड़े सभी मामले एक सुव्यवस्थित और न्यायोचित तरीके से निपटाए जाएं।
गलत फैसलों से बचाव: उचित कानूनी प्रक्रिया अपनाने से गलत निर्णयों और अन्याय की संभावना कम होती है।


4. निष्कर्ष:

धारा 21 हिंदू विवाह अधिनियम के तहत आने वाले सभी मामलों में भारतीय सिविल प्रक्रिया संहिता (CPC) को लागू करने का निर्देश देती है।
इसका उद्देश्य न्यायिक प्रणाली में समानता, पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखना है, ताकि विवाह से जुड़े मामलों का सही और न्यायोचित तरीके से समाधान हो सके।


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