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हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 – धारा 15: तलाक के बाद पुनर्विवाह (Remarriage after Divorce)

हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 – धारा 15: तलाक के बाद पुनर्विवाह (Remarriage after Divorce)

परिचय:

धारा 15 हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 में यह निर्धारित करती है कि तलाक के बाद कोई व्यक्ति पुनर्विवाह (Remarriage) कब कर सकता है।
इस धारा का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि तलाक की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही कोई व्यक्ति दूसरा विवाह करे, ताकि कोई कानूनी विवाद उत्पन्न न हो।


धारा 15 के प्रमुख प्रावधान:

1. तलाक के बाद पुनर्विवाह की अनुमति

  • यदि किसी व्यक्ति को तलाक की डिक्री (Divorce Decree) मिल चुकी है, तो वह पुनर्विवाह कर सकता है।
  • हालांकि, पुनर्विवाह करने के लिए यह आवश्यक है कि कोई भी पक्ष (पति या पत्नी) तलाक के खिलाफ अपील न कर रहा हो।

2. यदि तलाक के खिलाफ अपील दायर की गई हो

  • यदि तलाक के फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय या सुप्रीम कोर्ट में अपील लंबित है, तो जब तक अपील का निपटारा नहीं हो जाता, तब तक पुनर्विवाह नहीं किया जा सकता।
  • यदि कोई भी पक्ष तलाक को चुनौती नहीं देता, और अपील करने की समय सीमा समाप्त हो जाती है, तो पुनर्विवाह की अनुमति होगी।

3. तलाक के बाद पुनर्विवाह के लिए शर्तें

(A) जब पुनर्विवाह की अनुमति होगी:

✅ तलाक की डिक्री अदालत से पारित हो गई हो।
✅ तलाक के खिलाफ अपील की कोई संभावना न हो (यानी अपील की समय सीमा समाप्त हो गई हो)।
✅ यदि अपील दायर हुई थी, तो अदालत ने उसे खारिज कर दिया हो।

(B) जब पुनर्विवाह की अनुमति नहीं होगी:

❌ यदि तलाक के खिलाफ अपील दायर की गई है और वह लंबित है।
❌ यदि अदालत ने तलाक को मंजूरी नहीं दी है।


4. धारा 15 का उद्देश्य

  • यह सुनिश्चित करना कि तलाक का कानूनी रूप से समापन हो जाने के बाद ही व्यक्ति दूसरा विवाह करे।
  • तलाक के बाद किसी भी संभावित कानूनी विवाद से बचाव करना।
  • तलाक और पुनर्विवाह की प्रक्रिया को न्यायसंगत और सुव्यवस्थित बनाना।

5. न्यायालय द्वारा धारा 15 की व्याख्या

सुप्रीम कोर्ट का फैसला:

  • लिली थॉमस बनाम भारत संघ (2000) मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि कोई व्यक्ति तलाक के खिलाफ अपील लंबित होने के दौरान पुनर्विवाह करता है, तो वह अवैध होगा।
  • हालांकि, यदि अपील की समय सीमा समाप्त हो गई हो, तो पुनर्विवाह किया जा सकता है।

6. निष्कर्ष:

धारा 15 यह सुनिश्चित करती है कि कोई भी व्यक्ति तभी पुनर्विवाह करे जब उसका तलाक पूरी तरह कानूनी रूप से अंतिम रूप ले चुका हो।
यदि तलाक के खिलाफ कोई अपील लंबित न हो और उसकी समय सीमा समाप्त हो चुकी हो, तो पुनर्विवाह पूरी तरह कानूनी होता है।


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